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"भारत के प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय की विषयवस्‍तु" पर सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं

आरंभ करने की तिथि :
Apr 14, 2018
अंतिम तिथि :
Apr 30, 2018
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

भारत सरकार, सभी प्रधानमंत्रियों को शामिल करते हुए “भारत के ...

भारत सरकार, सभी प्रधानमंत्रियों को शामिल करते हुए “भारत के प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक आधुनिक संग्रहालय” स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव करती है। वे भारत सरकार के प्रमुख चेहरे रहे हैं। मंत्री परिषद और महत्‍वपूर्ण रूप से इसके आंतरिक मंत्रिमंडल के अध्‍यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री को शासन और नीति-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी होती है। उन्‍होंने अधिकांशत: भारत की आजादी के विगत 70 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय राजनीति पर अत्‍यधिक प्रभाव डाला है। प्रधानमंत्री संस्‍था के रूप में भारतीय शासन की लोकतांत्रिक वैधता का भी प्रतिनिधित्‍व करते हैं।

चूंकि, प्रधानमंत्री का संस्‍थागत स्‍वरूप भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्‍वपूर्ण है, इसलिए इसे और अधिक स्‍पष्‍ट करने की आवश्‍यकता है। वस्‍तुत:, भारत का लोकतांत्रिक अनुभव अद्वितीय है, फिर भी इसे उस तरीके से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जैसा इसे प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था। एक ओर भारतीय संसद ने अपने विधायी अनुभव को दर्शाने वाला एक संग्रहालय स्‍थापित किया है, वहीं दूसरी ओर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने भी भारत की कानूनी विरासत और हमारी न्‍याय प्रदायगी प्रणाली के विकास को चित्रित करते हुए एक संग्रहालय की स्‍थापना की है। यह उपयुक्‍त समय है कि भारत की इस कार्यकारी संस्‍था के प्रतीक प्रधानमंत्री की कहानी भी व्‍यक्‍त की जाए।

यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि हमारे प्रधानमंत्रियों में से कई प्रधानमंत्रियों के जीवन और कार्यों से संबंधित जानकारी को अच्‍छे ढंग से प्रलेखित नहीं किया गया है। इनमें से कई को वास्‍तव में बहुत कम तवज्‍जो मिली है। यद्यपि सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा अलग-अलग योगदान दिए गए हैं और उनकी तुलना नहीं की जा सकती, अत: इसका मूल्‍यांकन कार्य व्‍यक्ति विशेष पर छोड़ दिया जाना चाहिए; सभी संगत तथ्‍यों का एक स्‍थान पर होना इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा। प्रस्‍तावित संग्रहालय द्वारा इसी उद्देश्‍य को पूरा करने की अपेक्षा है। अनुसंधान और सुग्राही व्‍यवस्‍था के द्वारा इस प्रयास से हमारे प्रधानमंत्रियों के व्‍यक्तित्‍व जीवंत हो उठेंगे।

आप सहमत होंगे कि साधारण ईंट-पत्‍थर से निर्मित किसी भी संग्रहालय की दीवारों पर लगे चित्रों की अपनी सीमाएं होती हैं। स्‍थैतिक प्रस्‍तुतियां आमतौर पर सूचना प्रदान करती हैं, परंतु वे सीमित भित्ति क्षेत्र के चलते बाध्‍य होती हैं। इसका आशय यह भी है कि कोई भी भवन इतना बड़ा नहीं हो सकता जिससे भावी आवश्‍यकताओं को पूरा किया जा सके। इसके बावजूद, यदि कहानी को प्रस्‍तुत करने के लिए नवीन तकनीकी इंटरफेस का प्रयोग किया जाए, तो यह अनुभव बहुस्‍तरीय और अधिक व्‍यापक हो सकता है। होलोग्राम, आभासी वास्‍तविकता, संवादमूलक स्‍क्रीनें, संवर्धित वास्‍तविकता, मल्‍टी-टच, मल्‍टी-मीडिया, संवादमूलक किओस्‍क, कंप्‍यूटरीकृत काइनेटिक मूर्तियां, स्‍मार्टफोन एप्‍लीकेशन्‍स, क्‍यू आर कोड-आधारित एप्‍लीकेशन्‍स, ए.आई. आदि के द्वारा आगंतुक अनुभव को और अधिक संवर्धित बनाया जा सकता है। अन्‍य लाभ यह होगा कि इससे स्‍थान का ईष्‍टतम उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा। निस्‍संदेह, निजी स्‍मृति चिह्न, संबंधित कलाकृतियां, मूल दस्‍तावेज और फोटोग्राफ भी अपना विशेष स्‍थान अवश्‍य पाएंगे।

सरकार, इसकी विषयवस्‍तु को समृद्ध बनाने के लिए आपके सुझाव और विचार सहर्ष आमंत्रित करती है। इसके आधार पर इस संग्रहालय में प्रत्‍येक प्रधानमंत्री पर प्रदर्शनी की व्‍यवस्‍था की जाएगी। आपके सुझाव विषयपरक, तकनीकी, प्रबंधकीय हो सकते हैं जो समकालीन इतिहास अथवा प्रौद्योगिकीय संवाद पर आधारित हों। इसमें सभी प्रधानमंत्रियों को एक साथ अथवा वैयक्तिक तौर पर शामिल किया जा सकता है। यह कैनवास बड़ा और लचीला हो, इसके लिए हमें इस प्रयास को आगे बढ़ाने हेतु आपके विचारों की आवश्‍यकता है। पहले पैराओं में जिस चीज का उल्‍लेख किया गया है वह केवल व्‍याख्‍यात्‍मक है। आपको इस तक सीमित रहने की आवश्‍यकता नहीं है।

सर्वश्रेष्‍ठ सुझाव/विचार को दस हजार रुपए का नकद पुरस्‍कार दिया जाएगा।

प्रस्तुत की अंतिम तिथि 29 अप्रैल, 2018 है