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भारत के प्रधानमंत्रियों पर संग्रहालय की "अवधारणा" और "परिकल्‍पना" के संबंध में आमंत्रित सुझाव

आरंभ करने की तिथि :
Apr 13, 2018
अंतिम तिथि :
Apr 30, 2018
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

भारत सरकार, सभी प्रधानमंत्रियों को शामिल करते हुए ''भारत के ...

भारत सरकार, सभी प्रधानमंत्रियों को शामिल करते हुए ''भारत के प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक आधुनिक संग्रहालय'' स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव करती है। वे भारत सरकार के प्रमुख चेहरे रहे हैं। मंत्री परिषद और महत्‍वपूर्ण रूप से इसके आंतरिक मंत्रिमंडल के अध्‍यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री को शासन और नीति-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी होती है। उन्‍होंने अधिकांशत: भारत की आजादी के विगत 70 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय राजनीति पर अत्‍यधिक प्रभाव डाला है। प्रधानमंत्री संस्‍था के रूप में भारतीय शासन की लोकतांत्रिक वैधता का भी प्रतिनिधित्‍व करते हैं।

चूंकि, प्रधानमंत्री का संस्‍थागत स्‍वरूप भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्‍वपूर्ण है, इसलिए इसे और अधिक स्‍पष्‍ट करने की आवश्‍यकता है। वस्‍तुत:, भारत का लोकतांत्रिक अनुभव अद्वितीय है, फिर भी इसे उस तरीके से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जैसा इसे प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था। एक ओर भारतीय संसद ने अपने विधायी अनुभव को दर्शाने वाला एक संग्रहालय स्‍थापित किया है, वहीं दूसरी ओर सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने भी भारत की कानूनी विरासत और हमारी न्‍याय प्रदायगी प्रणाली के विकास को चित्रित करते हुए एक संग्रहालय की स्‍थापना की है। यह उपयुक्‍त समय है कि भारत की इस कार्यकारी संस्‍था के प्रतीक प्रधानमंत्री की कहानी भी व्‍यक्‍त की जाए।

यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि हमारे प्रधानमंत्रियों में से कई प्रधानमंत्रियों के जीवन और कार्यों से संबंधित जानकारी को अच्‍छे ढंग से प्रलेखित नहीं किया गया है। इनमें से कई को वास्‍तव में बहुत कम तवज्‍जो मिली है। यद्यपि सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा अलग-अलग योगदान दिए गए हैं और उनकी तुलना नहीं की जा सकती, अत: इसका मूल्‍यांकन कार्य व्‍यक्ति विशेष पर छोड़ दिया जाना चाहिए; सभी संगत तथ्‍यों का एक स्‍थान पर होना इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा। प्रस्‍तावित संग्रहालय द्वारा इसी उद्देश्‍य को पूरा करने की अपेक्षा है। अनुसंधान और सुग्राही व्‍यवस्‍था के द्वारा इस प्रयास से हमारे प्रधानमंत्रियों के व्‍यक्तित्‍व जीवंत हो उठेंगे।

भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम इसका श्रेय विद्वानों और उन सभी को देते हैं जो शासन, विकास और समृद्धि में अभिरुचि रखते हैं, कि उन्‍हें ऐसी विश्‍व स्‍तरीय सुविधा प्राप्‍त हो ताकि भारत के प्रधानमंत्रियों पर महत्‍वपूर्ण अनुसंधान कार्य किया जा सके। चूंकि, प्रधानमंत्री ऐसे केन्‍द्र के रूप में उभरे हैं जिनके ईर्द-गिर्द संघ सरकार घूमती है, इस पद पर आसीन व्‍यक्ति प्राय: असाधारण व्‍यक्तित्‍व रहे हैं। प्रधानमंत्री के पद पर रहे कुछेक व्‍यक्तियों को समर्पित पृथक संग्रहालय स्‍थापित किए गए हैं। अभी तक भारत के प्रधानमंत्री रहे सभी पन्‍द्रह प्रधानमंत्रियों के लिए अलग-अलग संग्रहालय स्‍थापित करना संभव नहीं है। यह भी दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि कई प्रधानमंत्रियों के जीवन और कार्यों को कम तवज्‍जो मिली है।

भारत के प्रधानमंत्रियों से संबंधित संग्रहालय की 'अवधारणा' को अंतिम रूप देने से पूर्व, हम भारत सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए अपनाई जाने वाली 'परिकल्‍पना' के स्‍वरूप पर आपसे सुझाव और फीडबैक आमंत्रित करते हैं। 'भारत के प्रधानमंत्रियों से संबंधित संग्रहालय के इस विचार पर कैसे कार्य किया जाए? क्‍या आप इस विचार को लाभप्रद मानते हैं? इस संग्रहालय की संकल्‍पना किस प्रकार तैयार की जाए? आपका फीडबैक, संग्रहालय के संबंध में 'संकल्‍पना' और 'परिकल्‍पना' पर सुविचारित निर्णय लेने में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण सिद्ध होगा।

सर्वश्रेष्‍ठ विचार/सुझाव को दस हजार रुपए का नकद पुरस्‍कार प्रदान किया जाएगा।

प्रस्तुत की अंतिम तिथि 29 अप्रैल, 2018 है