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भारत में स्वास्थ्य प्रणालियां:मौजूदा निष्पादन और संभाव्यता के बीच की दूरी को कम करना

Health System in India: Bridging the Gap between Current Performance and Potential
आरंभ करने की तिथि :
Apr 23, 2015
अंतिम तिथि :
Jun 09, 2015
12:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

यह चर्चा अब बंद है। इस विषय पर टिप्पणी की है जो दूसरों की समीक्षा करने ...

यह चर्चा अब बंद है। इस विषय पर टिप्पणी की है जो दूसरों की समीक्षा करने के लिए, हमारे ब्लॉग पर उपलब्ध हैं । यह विषय स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने के स्तंभ के साथ नौ नए विचार विमर्श में अब आगे बढ़ाया गया है। हम आपको इन चर्चाओं में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

स्वास्थ्य सूचना प्रणाली
स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन
औषधियों,टीकों,जांच सुविधाओं और अन्य उपभोक्ता सामग्रियों की उपलब्धता
सार्वजनिक स्वास्थ्य
सेवा उपलब्धता
उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का कुशलता के साधन के रूप में उपयोग करना
प्रबंधन और अभिशासन
दवाओं, आहार और चिकित्सा पद्धति का विनियमन
वित्तीय संसाधनों की बढ़ोतरी

भारत ने पोलियो उन्मूलन,प्रजनन-क्षमता में कमी तथा रोग नियंत्रण के मामलों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। किंतु, स्वास्थ्य परिणामों की दृष्टि से, समान आय तथा विकास की समान अवस्था वाले अन्य देशों के मुकाबले हमारी प्रगति धीमी रही है। अगर प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है, तो जीवन प्रत्याशा या स्वास्थ्य की स्थिति भी बेहतर होनी चाहिए। अब हमारे सामने रोग का बोझ तिगुना हो गया है। भारत में सामर्थ्य से अधिक व्यय करना पड़ रहा है(कुल स्वास्थ्य व्यय का 70 प्रतिशत)। गरीबों के लिए यह स्थिति बहुत त्रासदपूर्ण होती है और प्रति वर्ष लगभग 3 करोड़ 70 लाख लोग गरीबी के शिकार हो जाते हैं।

भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत,स्वास्थ्य राज्य-सूची का विषय है। समवर्ती सूची के मदों के लिए केंद्र सरकार भी संयुक्त रूप से उत्तरदायी है। हमारी स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल सबसे बड़े सार्वजनिक नेटवर्कों में से है,लेकिन क्षेत्रीय विषमता, उपलब्धता और गुणवत्ता का संकट अभी बना हुआ है। बड़ी संख्या में लोग निजी क्षेत्र की सेवाओं का उपयोग तो कर रहे हैं,लेकिन उनकी गुणवत्ता और लागत के मुद्दे मौजूद हैं।

संघीय बजट में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 2015-16 में बजट आवंटन 2014-15 के संशोधित व्यय के स्तर पर ही रखा गया है। चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के मद्देनज़र, राज्यों को असंबद्ध निधियों के तौर पर मिल रही राशि में से अधिक धन सामाजिक क्षेत्र पर व्यय करने के लिए प्रोत्साहित करने का अवसर बना हुआ है।

भारत में संभावनाएं अनन्त हैं। चुनावों के सफल आयोजन, जनगणना सर्वेक्षण, अंतरिक्ष तथा आणविक विज्ञान परियोजनाएं इसके कुछ उदाहरण हैं। भारत को “दक्षिणी विश्व का दवा-निर्माता” कहा जाता हैक्योंकि यह विकसित देशों को सस्ती, जीवनरक्षक जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराता है। इसी प्रकार, हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में लोगों को अधिकतम परिणाम उपलब्ध कराने की क्षमता भी है।

बारहवीं योजना में स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत बनाने का खाका प्रस्तुत किया गया है ताकि सबके लिए स्वास्थ्य के दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। हमारा मानना है कि हमारी मौजूदा स्थिति और हमारी संभावनाओँ के बीच जो दूरी है,उसका समाधान यह है कि स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ किया जाए। नीति आयोग का स्वास्थ्य प्रभाग इस क्षेत्र में धन की सीमित उपलब्धता की विकट चुनौतियों से निपटने के लिए विचार जानने और हमारी व्यवस्था के सभी स्तरों पर भावी कार्ययोजना की रूपरेखा तय करने के प्रयोजन से, आपको एक खुली और ज्ञानवर्द्धक चर्चा के लिए आमंत्रित करता है। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण और बेशकीमती है।

भारत में स्वास्थ्य प्रणाली की मौजूदा स्थिति के अधिक विस्तृत ब्यौरे

हम निम्नांकित दो प्रश्नों पर आपके विचार आमंत्रित करते हैं:

1. हम उपलब्ध संसाधनों की सहायता से स्वास्थ्य परिणामों को कैसे अधिकतम बेहतर बना सकते हैं?

2. हम स्वास्थ्य में निवेश कैसे बढ़ा सकते हैं?

यह चर्चा अगले दो सप्ताहों तक के लिए खुली है,जिसके बाद हम मंच पर प्राप्त विचारों का सार आपके साथ साझा करेंगे। हम देश-विदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और सर्वोत्तम कार्यशैलियों से लिए गए सबक के मुद्दों पर अधिक विस्तृत नोट भी प्रस्तुत करेंगे ताकि उसपर और अधिक चर्चा हो सके। ऊपर उल्लिखित प्रश्नों पर प्राप्त विचारों का सार भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उस पर और अधिक गहन चर्चा की जा सके।

हमारे प्रभाग की टिप्पणियां “NITIHealth”के नाम से दिखाई जाएँगी।