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शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले अनुसूचित जनजाति छात्रों की दर में कमी लाने और साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए उपाय

Measures to reduce dropout rate & to increase ST literacy rate
आरंभ करने की तिथि :
Jan 01, 2015
अंतिम तिथि :
Jan 05, 2015
04:15 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

घर और सामाजिक दोनों स्तरों पर शिक्षा को विकास का आधार माना जाता है। ...

घर और सामाजिक दोनों स्तरों पर शिक्षा को विकास का आधार माना जाता है। अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, पर्यावरण और प्रशासनिक कारणों के चलते आदिवासी बच्चों को शिक्षित करना सरकार के लिए हमेशा से एक चुनौती रहा है। सरकार अनुसूचित जनजाति के बच्चों लिए उत्तम शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर प्रदान करने हेतु एक सक्रिय पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए अपनी कार्य नीतियों का पुनर्नियोजन कर रही है।

जनजातीय शिक्षा की प्रमुख चिंताओं में से एक अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा दर में कमी और अनुसूचित जनजातियों द्वारा बीच में शिक्षा छोड़ने की उच्च दर है|

पहली से दसवीं कक्षा के छात्रों द्वारा शिक्षा बीच में छोड़ने की दर को कम करना एक बड़ी चुनौती है। छात्रों को वापस लाना और बीच में शिक्षा छोड़ चुके छात्रों के लिए अत्यधिक देखभाल, संवेदनशील, भावनात्मक और सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है।

इस मंच के माध्यम से जनजातीय कार्य मंत्रालय आप सभी को अपने विचार, सुझाव, समाधान, आलोचना और सर्वोत्तम तरीकों के माध्यम से अभिनव हस्तक्षेप करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

भारत में जनजातीय शिक्षा की चुनौतियाँ: http://cdn.mygov.nic.in/bundles/frontendgeneral/pdf/challenges-of-tribal...

आप अपने सुझाव 4 जनवरी 2015 तक भेज सकते हैं।