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संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली में सर्वेक्षण/पुन:सर्वेक्षण और उस पर अनुसंधान पर अपने विचार साझा करें

Share views on Survey/Resurvey in the UT of Dadra & Nagar Haveli and its Promulgation under NLRMP Scheme
आरंभ करने की तिथि :
May 13, 2015
अंतिम तिथि :
Apr 01, 2016
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

दादरा एवं नगर हवेली का भौगोलिक क्षेत्र 491.00 वर्ग किलोमीटर हैं, जो ...

दादरा एवं नगर हवेली का भौगोलिक क्षेत्र 491.00 वर्ग किलोमीटर हैं, जो उत्तर में गुजरात और दक्षिण में महाराष्ट्र राज्यों के मध्य स्थित है| कुल क्षेत्र में से 40% क्षेत्रफल वन है|

सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त विभाग की मुख्य भूमिका संबधी विभिन्न प्रकार के कार्यों जैसे कृषि विषयक और गैर कृषि विषयक भूमि का परिमाप, नक्शों को जारी करना, जिला नंबर को जारी करना इत्यादि हैं| भूमि रिकार्ड के कम्प्यूटरीकरण/नवीनीकरण के लिए सर्वेक्षण विभाग दादरा नगर हवेली द्वारा एन.एल.आर.एम.पी. योजना के अंतर्गत सर्वेक्षण/पुन: सर्वेक्षण किया गया है| उक्त कार्यक्रम के अन्तर्गत पूराने रिकार्ड का डिजिटालाईजेशन, आधुनिक रिकार्ड कक्षों की स्थापना, सत्यापन आदि नक्शों का डिजिटालाईजेशन, एकीकृत सोफ्टवेयर, डिजिटालाईजेशन पध्धति के साथ डाटा डिजिटालाईजेशन वैधिकरण, प्रमाणित इत्यादि को कार्य किये गए है| कुल भूमि रिकार्डों के यथोचित अनुसंधान करके लागू करने के पश्चात नक्शों को ऑन लाइन उपलब्ध किया जाएगा|

एन.एल.आर.एम.पी. योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों ने सर्वेक्षण/पुन:सर्वेक्षण किया है| लेकिन इसका अनुसंधान करके लागू करना विचाराधीन और इसके अध्ययन-विचार के स्तर पर हैं| यदि हम सर्वेक्षण /पुन: सर्वेक्षण का अनुसंधान करके लागू करते हैं, तो एन.एल.आर.एम.पी. योजना के अंतर्गत सर्वेक्षण/पुन:सर्वेक्षण का अनुसंधान करके लागू करने के लिए संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली प्रथम प्रदेश होगा|

सर्वेक्षण /पुन: सर्वेक्षण का अनुसंधान करके लागू करने के लिए दो तरीके है| (1) सहज अनुसंधान करके लागू करना और (2) विस्तृत अनुसंधान करके लागू करना|

सहज अनुसंधान करके लागू करने के लिए भूमि धारकों से स्थल पर ही आपत्तियों के समाधान करने का तरीका है| यद्यपि अन्य मामलों में इसे सर्वेक्षण / पुन: सर्वेक्षण के अनुसार अंतिम रूप दिया जाएगा| शिक्षित भूमिधारक सर्वेक्षण / पुन:सर्वेक्षण को समझेंगे और उनकी आपत्तियों को दर्ज करायेंगे| लेकिन अशिक्षित भूमिधारक सर्वेक्षण / पुन:सर्वेक्षण (नक़्शे को पढ़ना ) के बारे में नहीं समझ पायेंगे और वे उसी समय किसी भी आपत्ति को दर्ज नहीं करायेंगे और इसलिए अनुसंधान करके लागू करने के प्रश्चात भविष्य मंह जटिलता उत्पन्न होगी और ऑन लाइन सेवा के लिए विभाग को कठिनाईयों का सामना करना पडेगा|

यद्यपि विस्तृत अनुसंधान करके लागू करने में उक्त कार्य के लिए नियुक्त अधिकारी को क्षेत्र में जाना होगा और 1965 के सर्वेक्षण के साथ हाल ही में किये गए सर्वेक्षण / पुन:सर्वेक्षण की तुलना करनी होगी और पत्थर से चिन्हित करना होगा और सीमाओं का पुन: सीमांकन करना होगा और उसके पश्चात अनुसंधान करके लागू की जाएगी|

सर्वेक्षण / पुन:सर्वेक्षण के विस्तृत अनुसंधान करके लागू करने के साथ अधिकतर विवादित मामलों का समाधान किया जायेगा और शेष विवादित मामलों के बारें में जनता को जागृत किया जाएगा और उन में से किसी अधिकारी को अपील करनी होगी| उपरोक्त जागरूकता के कारण उनको एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में नहीं जाना पडेगा और सर्वेक्षण विभाग दादरा एवं नगर हवेली भूमि राजस्व प्रशासन विनियम अधिनियम-1971 के अन्तर्गत उनके समस्याओं का निराकरण करने में भी सहायता करेगा| यदि आवश्यकता पड़ने पर प्रशासन उन विवादित मामलों के समाधान के लिए वर्तमान नियमो में आवश्यक संशोधन करना प्रारंभ करेगा, जो लम्बे समय से लम्बित है और ऐसे मामलों का बंदोबस्त करेगा और अंतिम रूप देगा|

पत्थर को चिन्हित करने का शुल्क पत्थर की कींमत के अनुसार भूमि धारक से वसूल करना होगा और आदिवासी भूमि धारकों को थोड़ी छूट देने के पश्चात भूमि धारकों से दादरा एवं नगर हवेली शुल्क संरचना के अनुसार सरकारी शुल्कों को वसूल करेगा ताकि सरकार को उक्त कार्यों के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं करना पडेगा| विस्तृत अनुसंधान करके लागू करने में समय लगेगा लेकिन भविष्य में कोइ भी दुविद्या ऑन लाइन सेवा पर उत्पन्न नहीं होगी|

इसलिए हम इस संबंध में जनता से उनके विचारों / सुझावों पर अपनी प्रतिक्रया देने के लिए अनुरोध करते हैं, ताकि अनुसंधान करके लागू करने के कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए उनके बहुमूल्य विचारों विभाग को मदद करेंगे|

आप अपनी टिप्पणियां 31 मार्च 2016 तक भेज सकते हैं।