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आरंभ करने की तिथि :
Oct 13, 2016
अंतिम तिथि :
Nov 12, 2016
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
Information and communication technology is becoming an important aspect of Agriculture sector. Till now most of IT initiatives by government were focused on website and training. ...
Already a good set up of Central Governmental Employees are there to promote every Agricultural Project (BGREI, KCC, NFSM, OTASFI, STL etc...) under ATMA... If these is done a good communication will be made to the Central Govt and State Govt. activities.....at least the present status of the project can be informed timely....
८ उसके लिये आवश्यक साधन – यानी-- पानी, बिजली, रस्ता, अत्याधुनिक कृषि औजार, तैयार उत्पादन आधुनिक तरिकेसे रखनेके लिए आधुनिक गोदाम, हो सके तो तैयार उत्पादन पर व्हल्यू अडिशन के हिसाबसे प्रक्रिया करनेके लिए आधुनिक तंत्रज्ञानपर आधारीत यंत्रणा आदी का संपूर्ण दायित्व उस कंपनीको मिले। इसके अतिरिक्त जो जो कठिनाईयाँ आएगी उनको कंपनी अपने व्यवस्थापन कौशल्यसे अवसरमें रूपांतरित करें।
७ जादा या कम बारिश के हिसाबसे सरासरी पानीके उपलब्धता अनुसार उनकी जमीन कौनसे उत्पादन के लिये योग्य है यह तज्ज्ञलोग वा कंपनीके खुदके प्रयोगशालासे जो निष्कर्ष आएंगे –उसके अनुसार सुयोग्य उत्पादन लेकर योग्य समयपर उसको बाजारमें बेचनेके लिये लाए। बेचनेका व्यवस्थापन स्वतंत्र रीति से कंपनीका हि होना चाहिए।
५ ऐसी कंपनीको पब्लिक लिमिटेड कंपनी के सारे नियम लागू हो।
६ सालभर खेती के लिये आवश्यक होगा उतने पानी का नियोजन करना यह उनका दायित्व रहेगा।
३ ऐसी कंपनी को पब्लिक इश्यू के जरिए बाजारसे पैसा उपलब्ध करानेकी अनुमती मिले।
४ कंपनीके व्यवस्थापन पायव्हेट लिमिटेड कंपनीकी तरह होना चाहिए। उनके बोर्डमें सुशिक्षीत प्रगल्भ युवा शेतीतज्ञ, कायदातज्ञ, व्यवस्थापन तज्ञ और नामांकित चार्टर्ड रोखपाल होने चाहिए।
१ कम से कम ५०० किंवा या उससे जादा हेक्टर जमीन की एक कंपनी बन सकती है। उस कंपनीके प्रवर्तक कृषि सुशिक्षीत व व्यवस्थापन क्षेत्र की जानकारी रखनेवाले व्यावसायिक हो। उन्हें स्टार्ट अप, स्टँड अप वा मुद्रा कर्ज की सुलभ उपलब्धी हो।
२ जो क्षेत्र तय किया है उसमें जिनकी जमीन हो वे कंपनीके शेअर होल्डर हो। उन्हें खेती के काम में शामील करके अपने अपने कुटुंब के हिसाबसे मासिक वेतन मिले। कंपनीको जो फायदा होगा वह भी उन्हें यथाकाल और यथायोग्य मिले।
इसीलिए कृषि उद्योग को संघटीत संस्था मे परिवर्तित करनेकी नजरसे देखना चाहिए। ७५% जिरायत खेतीके लिए उसकी ये संकल्पना उपयोगी हो सकती है। उसके कुछ पहलू ऐसे होने चाहिए।
महाराष्ट्रमें साधारण ७५% कोरडवाहू और २५% बागायत जमीन है। २५% वाले राजनीतीवाले वा उनके संबंधीत होनेके कारण उनको सहकारी बँक हो, बाजार समिती हो, चिनी उद्योग हो, मंत्रीपद हो, तथाकथित किसान होने के कारण वार्षिक आयकर भुगतान करनेकी नौबत न हो वा विविध सरकारी योजनाओंके प्रमुख हो ----सब तरफसे फायदा और फायदाहि होता है। इसी ताकदसे दूर रहकर शायद लाख लाख लोगोंके आंदोलन भी चला रहे होंगे।
कृषि व्यवसाय यह प्रचंड नुकसानवाला एक सरकारी व्यवसाय हो गया है।
किसानोंको कर्जमाफी दी जाय तो जो किसानोने कर्ज लिया था उनको पैसा तो मिलनेवाला नहीं, “कर्ज नही” इतनाही समाधान मिलनेवाला है जिसका प्रत्यक्ष रूप में किसानोंको कुछ भी फायदा नही बल्की, सहकारी बँक के चेअरमन, चुने आये हुए सभासद और उनके सगे संबंधी - जिन्होने लिये हुए विनातारण कर्ज माफ हो जाएंगे।