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Promote cultural integration through language

Promote cultural integration through language
Start Date :
Jan 22, 2015
Last Date :
Nov 01, 2015
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
Submission Closed

How can inter-linkages between education, culture and language be brought about in HE institutions. Some concrete suggestions on how this can be effectively implemented need to be ...

How can inter-linkages between education, culture and language be brought about in HE institutions. Some concrete suggestions on how this can be effectively implemented need to be specified.

Showing 719 Submission(s)
Vikalp Singh
Vikalp Singh 10 years 2 months ago

भेद-भाव रहित ‘एकल स्थिति’ हो सभी नागरिकों का एक ही धर्म, एक ही समाज, एक ही परिवार, एक ही दल, एक ही रीति-रिवाज, एक ही भाषा, एक समान ही उत्तम खान-पान एवं रहन-सहन तथा एक ही शिक्षा-दीक्षा अनिवार्यतः लागू होना चाहिए ।
भेद-दृष्टि को ही बदलने की तथा अभेददृष्टि स्थापित करने की व्यवस्था करना सरकार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए |

Surya Chaudhary
Surya Chaudhary 10 years 2 months ago

भेद-भाव रहित ‘एकल स्थिति’ हो सभी नागरिकों का एक ही धर्म, एक ही समाज, एक ही परिवार, एक ही दल, एक ही रीति-रिवाज, एक ही भाषा, एक समान ही उत्तम खान-पान एवं रहन-सहन तथा एक ही शिक्षा-दीक्षा अनिवार्यतः लागू होना चाहिए ।
भेद-दृष्टि को ही बदलने की तथा अभेददृष्टि स्थापित करने की व्यवस्था करना सरकार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए ।

Surya Chaudhary
Surya Chaudhary 10 years 2 months ago

सभ्यता परक जीवन की शुरुआत सरल और रूचिकर मध्य
भ्रष्टतायुक्त तथा अन्त विनाश में होता है जबकि संस्कृति परक जीवन
की शुरुआत में कष्टकारक मध्य थोड़ा कठोर एवं अन्त आनन्द दायक,
प्रतिष्ठा मर्यादा संस्थापक एवं कल्याण कारक होता है । संस्कृति सभ्यता
से हर प्रकार से श्रेष्ठतर उत्थान परक और कल्याणकर होती है

bhagwadavatari
Arun Kumar Gupta 10 years 2 months ago

भेद-भाव रहित ‘एकल स्थिति’ हो सभी नागरिकों का एक ही धर्म, एक ही समाज, एक ही परिवार, एक ही दल, एक ही रीति-रिवाज, एक ही भाषा, एक समान ही उत्तम खान-पान एवं रहन-सहन तथा एक ही शिक्षा-दीक्षा अनिवार्यतः लागू होना चाहिए ।
भेद-दृष्टि को ही बदलने की तथा अभेददृष्टि स्थापित करने की व्यवस्था करना सरकार की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए ।

bhagwadavatari
Arun Kumar Gupta 10 years 2 months ago

सभ्यता परक जीवन की शुरुआत सरल और रूचिकर मध्य
भ्रष्टतायुक्त तथा अन्त विनाश में होता है जबकि संस्कृति परक जीवन
की शुरुआत में कष्टकारक मध्य थोड़ा कठोर एवं अन्त आनन्द दायक,
प्रतिष्ठा मर्यादा संस्थापक एवं कल्याण कारक होता है । संस्कृति सभ्यता
से हर प्रकार से श्रेष्ठतर उत्थान परक और कल्याणकर होती है

kamalkishor
kamalkishor 10 years 2 months ago

1. 6th se hi anya bhartiya bhashaon ka optional shikshan hona chahiye.
2. Hindi bhasha mein urdu ki khuspaith karne wale lessons par pratibandh lagna chahiye.
3. shudhh hindi ka shikshan hi hona chahiye.
4. sanskrit ko pratham bhasha ke roop mein manyata milni chahiye.

amolmanih@gmail.com
amol mani 10 years 2 months ago

सम्पूर्णे भारतवर्षे संस्कृतभाषा सर्वत्र सहजतया ग्राह्या स्वीकार्या च भवति ,अतः सर्वत्र संस्कृतभाषा द्वितीय-भाषा-रूपेण अनिवार्यतया पाठयेत् |

Ajay kumar sharma_4
Ajay kumar sharma_4 10 years 2 months ago

सभी शिक्षण सस्थाओं मे इस प्रकार का पाठ्यक्रम लागू हो जिसमें एक कालांश अलग से अनिवार्य हो जिसमें अपनी मूल संस्कृति की चर्चा , वार्ता ,खान पान, रीति रिवाज, वेशवूशा,मेला, पर्व ,त्यौहार, व्रत, दर्शन को लागू करके इन तीनो के मध्य अन्तर सम्बन्ध को लाया जा सकता

VIPIN KUMAR SHARMA
VIPIN KUMAR SHARMA 10 years 2 months ago

In the syllabus of CBSE 10th & 12th the chapters , poems and novels of indian writers must be given preference. it will help promote indian cultural integration through language

nepalsingh@ymail.com
Nepal Singh Patel 10 years 2 months ago

सभ्यता परक जीवन की शुरुआत सरल और रूचिकर मध्य
भ्रष्टतायुक्त तथा अन्त विनाश में होता है जबकि संस्कृति परक जीवन
की शुरुआत में कष्टकारक मध्य थोड़ा कठोर एवं अन्त आनन्द दायक,
प्रतिष्ठा मर्यादा संस्थापक एवं कल्याण कारक होता है । संस्कृति सभ्यता
से हर प्रकार से श्रेष्ठतर उत्थान परक और कल्याणकर होती है

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