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नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति के लिए सुझाव आमंत्रित

 Suggestions for the proposed New Cooperative Policy
आरंभ करने की तिथि :
May 27, 2022
अंतिम तिथि :
Jun 15, 2022
23:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

सहकारिता ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है जो कि लोगों के लिए ...

सहकारिता ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है जो कि लोगों के लिए स्थायी आजीविका और आय सुनिश्चित करती है। भारत में 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं, जिनमें से 1.77 लाख (लगभग 20%) क्रेडिट सहकारी समितियां हैं और शेष 80% गैर-क्रेडिट सहकारी समितियां हैं जो कि विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं। सहकारी आंदोलन ने पूरे भारत में फैले नेटवर्क के साथ 29 करोड़ से अधिक की सदस्यता को बढ़ावा दिया है। सहकारिता रोजगार और आय पैदा करके विभिन्न क्षेत्रों के विकास और अन्य विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, उदाहरण के लिए - डेयरी (93,556 करोड़ रुपये के कारोबार वाली 1,77,314 सहकारी समितियां), आवास (28,945 सहकारी समितियां जिन्हें 12,711 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया हैं ), श्रम (27,30,000 की सदस्यता वाली 46,818 सहकारी समितियां), उर्वरक (देश में कुल उर्वरक का 20% उत्पादन करने वाली सहकारी समितियां), मत्स्य पालन (32 लाख की सदस्यता वाली 20,804 सहकारी समितियां), चीनी (कुल चीनी उत्पादन का 35% उत्पादन करने वाली 188 चीनी मिलें), कृषि-प्रसंस्करण आदि। साथ ही ऋण सहकारी समितियाँ सीमांत क्षेत्रों को ऋण वितरित करके देश में वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अब तक की उपलब्धि देश में 21 राष्ट्रीय स्तर, 390 राज्य स्तर और 2705 जिला स्तरीय सहकारी संघों के नेटवर्क के माध्यम से हासिल की गई हैं।

नए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना भारत सरकार द्वारा दिनांक 06.07.2021 की अधिसूचना द्वारा "सहकार से समृद्धि" विजन के साथ देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने, जमीनी स्तर तक अपनी पहुंच को बढ़ाने, सहकारी समितियों को उनकी क्षमता का एहसास करने में मदद करने के लिए उपयुक्त नीति, कानूनी और संस्थागत फ्रेमवर्क आदि के लिए की गई है। उपरोक्त जनादेश को पूरा करने के लिए एक प्रमुख कदम के रूप में, मंत्रालय एक नई सहयोग नीति तैयार कर रहा है, क्योंकि मौजूदा नीति 2002 में तैयार की गई थी। नई नीति मौजूदा वक्त में दुनिया में इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेगी।

नई सहकारिता नीति सभी हितधारकों के परामर्श से तैयार की जा रही है। मंत्रालय को राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों, विभिन्न संगठनों और संस्थानों से कई मूल्यवान सुझाव प्राप्त हुए हैं। 12-13 अप्रैल, 2022 को दिल्ली में राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ एक राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया गया था। मंत्रालय नई सहकारिता नीति तैयार करने के लिए हितधारकों के साथ परामर्श की एक श्रृंखला आयोजित करने जा रही है।

इस परामर्श के हिस्से के तौर पर मंत्रालय नीचे दिए गए विभिन्न विषयों के तहत राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार करने के लिए आपके बहुमूल्य सुझाव आमंत्रित करता है।

i. सहकारी शासन

ii. कानूनी और नियामक फ्रेमवर्क

iii. प्रशिक्षण शिक्षा और मानव संसाधन नीति

iv. सहकारिताओं को जीवंत आर्थिक इकाइयां बनाना

v. नई सहकारिताओं की स्थापना, सहकारिता का सतत विकास

vi. सामाजिक सहकारिता/ सहकारिताओं का विविधीकरण

सुझाव साझा करने की अंतिम तिथि 15 जून, 2022 है।

482 सबमिशन दिखा रहा है
MANOJKANTIDAS
Manoj kanti das 3 साल 1 महीना पहले

The new coperative policy is the best successful in present rules and regulation, in our Assam cooperative Samiti is only secretary base and cooperative register office

Chandrakant Vijay Birhade
Chandrakant Vijay Birhade 3 साल 1 महीना पहले

Government of India should be create provision in civil services to include experiential candidates from different sectors under the name of service to the nation through the lateral hiring schemes because those people experience will be really helpful to create the people oriented policies for the nation under the suruksha kavach in different problem areas like Cybersecurity and drones technology handling, Information Technology Vertical Handling, IT education empowerment at grass root level,Humanity with sensitivity of nature under the environmental ecology,Private sector participative approach under the government those schemes it would be really beneficial.Those would be creating the new employment opportunities door for the people

kmtrivedi999@gmail.com
kuldeep mohan trivedi 3 साल 1 महीना पहले

सहकारिता के द्वारा ही अपने राज्य उत्तरप्रदेश में लोगो को कृषि में प्रगति करते मैंने देखा।कृषि उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।लोगो को उन्नतबीज,रासायनिक खादों,कृषि यंत्रों और उनकी धन की आवश्यकता को पूरा करने के लिये उन्हें ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई गई।जिसका नतीजा आज खाद्यान्न के मामले में उप्र में उत्पादन आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।इसके अलावा लोगो को कृषि तकनीक उपलब्ध कराने के लिये प्रशिक्षण की बेहतरीन व्यवस्था सहकारिता द्वारा की गई।

SanjeevJohnVarghese
Sanjeev Karimbil Varghese 3 साल 1 महीना पहले

To boost development and production for farmers, small scale industries and large scale industries, ensuring rural societies and cooperative growth. Reliability and profitability for maximum quality output. Caping Increased demand and costs variable to counter resource depletion and management.

P MADHUSUDAN RAO
P MADHUSUDAN RAO 3 साल 1 महीना पहले

In new cooperation policy you have to formulate full protection to members deposits.Otherwise directors will collapse the poor farmers,depositors money by using their powers.You are also return our deposits with out court cases,central agencies involvement from previous AADARSH MULTISTATE CREDIT COOPERATIVE SOCIETY which was run by central government.YOU have to take responsibility guarantee of our 21 lakh depositors money.Then you may introduce new cooperation bill.With out justice us there is no meaning for new cooperative act.First of

all kindly return our deposits.We are suffering from four years with out our hard earned money.

mohan kumbhar
mohan kumbhar 3 साल 1 महीना पहले

सहकरी संस्थांचा एक प्रकार. एका केंद्रीभूत कार्यासोबत इतर आनुषंगिक कार्ये सहकारी तत्त्वावर पार पाडण्याच्या हेतूने विविध कार्यकाही वा बहु-उद्देशीय संस्था अस्तित्वात येतात. सुरुवातीस एकमेव उद्देशाने स्थापन झालेल्या सहकारी संस्थेचा विकास होताना सभासदांच्या इतर अनेक गरजांचे समाधान त्याच संस्थेमार्फत करण्याची आवश्यकता वाटू लागली, की संस्थेचे रूपांतर विविध कार्यकारी संस्थेत होण्याचा कल भारतासह इतर अनेक देशांत आढळतो. शेतीमध्ये प्राथमिक पातळीवर अनेक सेवांची गरज विशेषेकरून भासते. पीककर्ज देण्याच्या मुख्य कार्यासोबतच सभासदांचा शेतमाल सहकारी विपणन संस्थेला विकणे सभासदांना बियाणे, पशुखाद्य, खते इ. पुरविणे त्याचप्रमाणे कापड, रॉकेल, मीठ, काडेपेट्या इ. जीवनावश्यक वस्तूंचा पुरवठा करणे अशांसारखी कामे करण्यासाठी विविध कार्यकारी संस्थेची अधिक गरज असते

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ArshdeepKaur_1132
ArshdeepKaur 3 साल 1 महीना पहले

First the training and education play important roles in our life . So we increase the training centre and education institute

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