भारत सरकार ने क्राउड सोर्सिंग के माध्यम से विभिन्न प्रकार के भौतिक रिकॉर्डों को डिजिटाइज़ करने के लिए एक मंच का प्रस्ताव दिया है। इस मंच की जरूरत को टाला नही जा सकता। अगर रिकॉर्डों के लेनदेन का भौतिक रुप से होना जारी है, तो हम डिजिटल इंडिया और भारत को एक सूचना समाज में बदलने की बात नहीं कर सकते। डिजिटल लेनदेन की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए, भौतिक लेनदेन के माध्यम से उत्पन्न सभी परम्परिक डेटा और भौतिक डेटा को डिजिटाइज़ करने की आवश्यकता है।
भौतिक रिकॉर्ड को मशीन-पठनीय रूप से डिजिटल रुप में परिवर्तित करने के लिए, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत डिजिटल लॉकर, या ई-क्रांति के तहत क्षेत्र विशेष अनुप्रयोगों को अनिवार्य रुप से आवश्यक गणना संचालन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। भौतिक रिकॉर्ड द्वारा डिजिटलीकरण के माध्यम से उन्मुक्त डेटा सक्रिय प्रशासन और सूचित निर्णय करने के लिए अनुसंधान, भविष्यसूचक, मात्रात्मक और गुणात्मक विश्लेषण में सक्षम हो जाएगा। जिससे ई- सरकार अनुप्रयोगों को सिस्टम ऑफ रिकॉर्ड्स से सिस्टम ऑफ इन्गेजमैन्ट में बदलने में मदद मिलेगी।
भौतिक रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण एक गैर-मामूली कार्य है। भारतीय आईटी उद्योग ने मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन और बीमा रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से कई अरब डॉलर का व्यापार किया था। यह मॉडल परिपक्व और बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण के लिए समाधान प्रदान करता है। लेकिन समस्या यह है कि इस तरह के डिजिटलीकरण की लागत बहुत अधिक है तथा बजट की कमी है इसके अलावा सरकार और कई अन्य संगठन इस तरह के अतिव्ययी डिजिटलीकरण के प्रयास को अनुमति नहीं देते हैं। जिसके परिणाम स्वरुप, हमने देश में भौतिक रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए बहुत अधिक प्रयास नहीं देखा है। सार्वजनिक क्षेत्र में साझा करने के रिकॉर्ड की गोपनीयता और सुरक्षा के मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है।
सरकार के पास खुद बड़ी संख्या में भौतिक रिकॉर्ड मौजूद है जिसका डिजिटलीकरण किया जा सकता है तथा जिसके माध्यम से डेटा पर विश्लेषिकी, रिकॉर्ड और निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। इनमें कुछ ऐसे सार्वजनिक रिकॉर्ड शामिल हैं जिनका डिजिटलीकरण के प्रयास से लाभ उठाया जा सकता हैं: भू-अभिलेख, नगर निगम के रिकॉर्ड, जन्म और मृत्यु पंजीकरण रिकॉर्ड, सरकारी कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड आदि।
कई गैर-सरकारी संगठन इस तरह के डिजिटलीकरण के प्रयास से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, बीमा कंपनी अपने बीमा रिकॉर्ड का प्रबंधन कर सकती हैं, दूरसंचार कंपनियाँ अपने ग्राहकों की पहचान से संबंधित दस्तावेजों के डिजिटलीकरण से लाखों डॉलर की बचत कर सकती हैं।
प्रस्तावित मंच के माध्यम से एक अभिनव उद्यम सामग्री प्रबंधन फ्रेमवर्क और टूल का निर्माण होगा, यह समाधान एक यूनिक संचालन के मॉडल का समर्थन करता है जिसमें भौतिक रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए क्राउड सोर्सिंग का उपयोग किया जाता है। यह मंच दस्तावेज़ों की गोपनीयता और व्यक्तिगतता सुनिश्चित करता है साथ ही ग्राहकों को उनके द्वारा प्रतिलिपि किए गए प्रत्येक शब्द के लिए पुरस्कार भी देता है। यह मंच बिना पर्यवेक्षक के मूल दस्तावेज का डिजीटल दस्तावेज से तुलना करता है तथा डिजिटलीकरण की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए एक नया और जटिल एल्गोरिथ्म का उपयोग करता है। प्रस्तावित मंच, हमारे साक्षर ग्रामीण और शहरी नागरिकों के लिए कमाई और आय सृजन के अवसर पैदा करेगा, डिजिटल साक्षरता विकसित करेगा और आईटी कौशल विकसित करेगा साथ ही उन्हें डिजिटल इंडिया के निर्माण में शामिल होने का अवसर भी प्रदान करेगा।
क्लाउड सक्षम मंच कई उपकरणों के माध्यम से उपलब्ध होगा जिसकी निम्नलिखित विशेषताएं होगीं-
i. यह सभी प्रकार के दस्तावेजों, इरिस्पेक्टिव ऑफ मीडिया, प्रारूप और भाषा के प्रतिलेखन के लिए लागू होगा। दस्तावेजों को मानव पठनीय इमेज प्रारूप में परिवर्तित करने की आवश्यकता होगी।
ii. कोई भी उपयोगकर्ता सदस्य बन सकता है और शब्द/अक्षर के ट्रैन्स्क्राइब द्वारा अंकन करना शुरु कर सकता है। ये शब्द/अक्षर प्रतिदेय नकद पुरस्कार में परिवर्तित होगा।
iii. कोई भी संगठन/सरकारी विभाग प्रतिलेखन के लिए अपने दस्तावेज जमा कर सकते हैं।
iv. दस्तावेज़ को स्कैन, लिखित और टेम्पलेट प्रारुप में प्रतिलिपित किया जाना चाहिए। टेम्पलेट के आधार पर, दस्तावेज़ की सामग्री के छोटे हिस्से को शब्दों या वाक्यांशों में विभाजित कर सकते है।
v. इसके बाद प्रत्येक भाग को अंकीयकरण के लिए मंच के दो बेतरतीब ढंग से चुने गए सदस्यों को भेजा जाता है।
vi. प्रत्येक सदस्य जो वह टाइप करता है उसका एक शब्द/वाक्यांश प्राप्त करता है। इस शब्द या वाक्यांश को किसी अन्य सदस्य (बेतरतीब ढंग से चुने गए) के साथ साझा किया जाता है। शब्द/वाक्यांश के दो डिजीटल संस्करण की मशीन से तुलना की जाती हैं। अगर वे मेल खाते हैं, तो डिजिटलीकरण सफल रहा है। यदि नहीं, तो इसे तीसरे व्यक्ति को भेजा जाता है और उनके डिजिटलीकरण के आधार पर आकलन किया जाता है।
vii. सदस्य सफल डिजिटलीकरण के लिए पुरस्कृत होगें। असफल डिजिटलीकरण के लिए कोई पुरस्कार नहीं है।
viii. क्राउड सोर्सिंग मोड के माध्यम से आवश्यक डिजिटलीकरण की सीमा से अधिक होने पर ओसीआर का इस्तेमाल किया जाएगा।
ix. मोबाइल आधारित आवेदन उपलब्ध होगा जिससे सदस्य शब्द टाइप कर सकते हैं।
इस पोर्टल को सरकार के मानकों के अनुसार तथा पूर्ण सुरक्षा सुविधाओं के साथ कई सरकारी एजेंसियों के समर्थन के लिए क्लाउड पर तैनात किया जाएगा। इस पोर्टल को ओपन मानक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया गया है। इस प्रक्रिया में दस्तावेजों की पहचान की रक्षा करने और उचित सत्यापन के माध्यम से सटीकता सुनिश्चित करने के लिए इस पूरे पहल को अच्छी तरह से निर्मित किया गया है। इस पहल में हर कोई भाग ले सकता है, यह सुनिश्चित करने के लिए पोर्टल को कई प्रारुपों, कई उपकरणों के लिए सुलभ और बहुभाषी रुप में उपलब्ध कराया जाएगा।
हमें न केवल डिजिटलीकरण ड्राइव में आपकी सक्रिय भागीदारी की आशा है, बल्कि इस पहल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान में भी आपकी सक्रिय भागीदारी की उम्मीद है। हम इस मंच को समृद्ध और अधिक उपयोगी बनाने में भाग लेने के लिए सभी नागरिकों को आमंत्रित करते हैं।
एक बेहतर भविष्य के लिए इस पहल में योगदान दें। आपकी राय मायने रखती है।
आप निम्नलिखित विषयों पर अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित हैं:
1. इस मंच को क्या कहा जाएगा? इसका नाम क्या होगा? प्रतीक चिन्ह का सुझाव दे।
2. आपके अनुसार तत्काल डिजिटलीकरण की आवश्यकता वाले विभिन्न दस्तावेजों के प्रकार क्या हैं और डिजिटलीकरण द्वारा कब अधिकतम मूल्य उत्पन्न होगा? कृपया सार्वजनिक क्षेत्र और निजी दोनों क्षेत्र से संबंधित दस्तावेजों पर सुझाव दे?
3. इस पहल से संबंधित व्यावसायिक मॉडल के विभिन्न प्रकारो के लिए आपके सुझाव क्या हैं जिन्हें क्राउड सोर्सिंग के लिए स्थापित किया जा सकता है (कागज पर आधारित मॉडल, सदस्यता आधारित मॉडल)?
4. रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के अलावा, आप कौन सी अन्य सेवाओं के बारे में सोचते हैं? क्या क्राउड सोर्सिंग भी इनमें शामिल हो सकती है?
5. गोपनीयता और सुरक्षा से संबंधित मुद्दा क्या हैं?
6. इस मंच की संभावित कमजोरियाँ क्या हैं? और इनमें कैसे सुधार किया जा सकता है?
7. इस पहल से जुड़ने में आपके अनुसार संभावित जोखिम क्या हैं?
8. इस मंच से बड़े पैमाने पर नागरिकों को जोड़ने के लिए कैसे लोकप्रिय बनाया जा सकता है?
9. आपके अनुसार सदस्यों को अधिक उत्पादक और जुड़ने में किस प्रकार की सहायता से मदद मिलेगी?
10. क्या कौशल विकास, भाषा शिक्षण, मनोरंजन आदि के क्षेत्रों में मूल्य प्रदान करने के लिए गतिशीलता, गेमीफिकेशन, विश्लेषिकी, जैसी अन्य सुविधाओं को मंच पर सक्रिय किया जा सकता है?
प्रतिभागियों द्वारा अपने विचारों को साझा करने की अंतिम तिथि 26 मई 2015 है।
Digitization of all research papers and translate them to Hindi & Tamil which are the major languages in India. All English books must be translated in Hindi. Hindi language websites are must. Japan is the only country where they translate all research papers around the world into Japanese language. That is the reason why Japanese is first language in Japan
Please digitize all police station under one digital platform where it is compulsory to lodge an FIR and report action against it at every stage. Also if particular police station is not accepting the case a Mobile app will help them to lodge their complaint directly to central police team. Also make compulsory to record video of FIR registration. Rape victims can lodge their complaints online to avoid police harassment. Corruption complaints also can be registered online.
1. Yugmak. Yugmak Kranti. Yugmak Viplav. Yugmak-anthan. YugMAnthan.
2. Boil down documents and data to maximum concentration of:
Repeating redundant data across document types for a single Entity Type.
Ex: For Citizen data let’s say the maximum instance of unique document type is in order: Birth Certificate, Aadhar, Ration Card, Pan Card, Passport,…
Digitize one with cleanest data source first.
I would like to connect with Team to convey more ideas on the process&campaign.
There should be one card per citizen, adhar being a good example. This one card can have our photo, and few iportant details mentioned. But Al identity proofs in india should be linked to this one card. Like our digital citizenship. But importantly it should have provision of temp and permanent address. A lot of us are on the move due to our jobs or other reasons. This year I may be voting from Delhi but next year I may be in Hyderabad. So this temp address change bit should be easy to do.
Digitization should reach the poorest of the poor and the most remote village & town. Because they need it the most. For example, so much knowledge, insights, hard work, creativity goes in to making films by our Indians. They are awarded National Awards too. But as the material is not mainstream cinema or so called commercial cinema its reach to the Rural students and population is hampered as they are not digitized to serve this needs.
http://contentwriteups.blogspot.in/2015/05/technology-is-religion-and-gadgets-are.html
Totally the number of states and union territories are 29+7=36
So a 36 letter tag lines which can be spread each letter onto a state and union territory
Digital India integrates into great India
Go digital, integrate all our great Indians
It would be better if we first provide data and telephone services to rural india. Then, we can use that infrastructure to create a direct toll free line for various services like health care, agro help, education and logistic transportation services. Also a simple PMO line could be established for citizens to talk to the PM directly
Utilizing jail inmates for data entry can speed up the processes of digitalisation giving additional manpower at no extra cost and the cost borne on the prisoners will be worth.
1-Name-"e-Bharat"-Digital Bharat Yogna
2-Immediate digitization of Public Transport Card(Railways,Airways,Buses,Metros),Ration Card,Entertainment Card(Movies,Plays,Restaurants,Malls,Parks),Vehicle Card(Cars,Rickshaws,Bikes-For-Fines,Licences,Parkings,Services,Petrol Pumps)
3-Through identification camps or aadhar card is enough to subscribe all the services online issue of id numbers and courier delivery of services and passwords