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मनोदर्पण: कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल व कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक तनाव से निपटने के लिए आइडिया आमंत्रित

आरंभ करने की तिथि :
Jul 21, 2020
अंतिम तिथि :
Aug 21, 2020
23:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

कोविड-19 महामारी के प्रकोप से दुनिया का हर व्यक्ति परेशान है। यह ...

कोविड-19 महामारी के प्रकोप से दुनिया का हर व्यक्ति परेशान है। यह महामारी न केवल चिकित्सा जगत के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह सभी के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सामाजिक तनाव का कारण बन रहा है। मौजूदा समय में बढ़ते तनाव, चिंता और भय के कारण बच्चे, किशोर और युवा कई तरह के भावनात्मक और व्यवहार संबंधी परेशानी का सामना कर रहे है, आज उन पर विशिष्ट ध्यान देने की जरुरत है। कोविड-19 ने शिक्षकों और अभिभावकों का भी तनाव बढ़ा दिया है, इस वजह से वे अपने वार्डों को सकारात्मक मार्गदर्शन न देकर उनकी क्षमता में बाधा डाल रहे हैं। हालांकि अकादमिक मोर्चे पर शिक्षा पर सतत ध्यान देना जरूरी है, लेकिन हमें छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को भी समान महत्व देना चाहिए।

मनोदर्पण, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक पहल है। मनोदर्पण का उद्देश्य कोविड-19 के दौरान और उसके पश्चात छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के लिए एक व्यापक और बहुमॉडल तरीके से मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया www.mhrd.gov.in/covid-19/ पर जाएं।

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से MyGov आप सभी नागरिकों से सुझाव आमंत्रित करता है ताकि कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल और कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों और माता-पिता को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक तनाव से निपटने में मदद मिल सके। चयनित टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर फीचर किया जा सकता है।

आपके सुझाव भेजने की अंतिम तिथि 21 अगस्त 2020 है

फिर से कायम कर देना
3814 सबमिशन दिखा रहा है
guptaak1960@gmail.com
ARUN KUMAR GUPTA 4 साल 6 महीने पहले

अगर जनता हिम्मत हार गई तो फिर समस्या से निपटना मुश्किल हो जाएगा। कब तक work from home चलता रहेगा। एक न एक दिन तो offices खोलना होगा। घरों में बंद बच्चे कब तक on-line क्लासेज अटेंड करते रहेंगे। क्या खेलना कूदना सब भूलना होगा? बिना रोजगार और बिना आमदनी कब तक और कैसे मजदूर और आम आदमी घर चलाएंगे। अब या तो सरकार एक बार कुछ दिनों के लिए फिर से पूर्ण लाकडाउन लगा कर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास करे या सब कुछ खोल दे। जो होगी देखी जाएगी

guptaak1960@gmail.com
ARUN KUMAR GUPTA 4 साल 6 महीने पहले

कोरोना का डर अंदर तक बैठ गया है। एक तरफ बढ़ती हुई संक्रमितो की संख्या और दूसरी तरफ सार्वजनिक स्थानों पर कुछ लोगों द्वारा मास्क न पहनें और सोशल डिस्टेन्स के नियमों की अवहेलना देख कर निराशा होती है कि अगर इसी तरह चलता रहा तो कैसे कोरोना से निपट पाएंगे।

Dr Ratna Srivastava
Dr Ratna Srivastava 4 साल 6 महीने पहले

जैसे बचपन में जीते थे वैसे ही घर में रहना पड़ेगा। छोटे बच्चों को ऑन लाइन पढ़ाने के लिए led लगाया जाय। उस पर कार्टून एनीमेशन, कहानी के माध्यम से पढ़ाया जाय। शिक्षकों की डयूटी 20 बच्चों पर लगा दिया जाय। नेट मजबूत किया जाय।

Dr Ratna Srivastava
Dr Ratna Srivastava 4 साल 6 महीने पहले

बच्चों के साथ खेलना,बच्चा बनना पड़ेगा, स्वस्थ बहस, हंसी, खेलना बहुत जरूरी है। खाना पकाना भी तरह तरह से करें। फोनिक बातें, बालकनी से बातें, हाल चाल ले लिया करें।