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महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन पर सुझाव आमंत्रित

Inviting suggestions over the Elimination of Violence against Women
आरंभ करने की तिथि :
Nov 25, 2021
अंतिम तिथि :
Dec 24, 2021
23:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत जनवरी 1992 में स्थापित ...

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत जनवरी 1992 में स्थापित राष्ट्रीय महिला आयोग एक वैधानिक निकाय है, जिसके पास महिलाओं के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों की रक्षा करने का अधिकार है। महिला आयोग महिलाओं के सशक्तिकरण और समग्र विकास में सहायता प्रदान करने वाले कार्यक्रम की पहल करता है ताकि महलाओं की अवसरों तक पहुंच सुनिश्चित कर निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा शुरू किया गया था। यह दिन प्रतिवर्ष 25 नवंबर को मनाया जाता है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रोत्साहित करके हिंसा की रोकथाम करना है। यह दिन महिलाओं के खिलाफ किसी भी ऐसी हिंसा को लिंग-आधारित हिंसा के रूप में परिभाषित करता है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं को शारीरिक, यौन या मनोवैज्ञानिक परेशानी होती है या होने की संभावना होती है। इस दिन का लक्ष्य समानता, विकास और शांति सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करना है।

महिला आयोग ने अपने मैंडेट के मुताबिक और 'महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन' के लक्ष्य के मद्देनजर महिला आयोग माईगव पोर्टल के माध्यम से लैंगिक हिंसा के खिलाफ चुप्पी तोड़ने पर सभी हितधारकों से इनपुट, सुझाव और प्रतिक्रिया आमंत्रित करता है, जिसका उद्देश्य लोगों के बीच समानता, विकास और शांति को बढ़ावा देना है।

सुझाव/इनपुट प्राप्त भेजने की अंतिम तिथि 24 दिसंबर, 2021 है।

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KACHHAD NAVNITKUMAR BAVANJIBHAI
KACHHAD NAVNITKUMAR BAVANJIBHAI 3 साल 6 महीने पहले

नमस्कार, सबसे पहले महिला की सुरछा उसके खुद के घर से होती है, दूसरी संस्कारो से, तीसरी भारतीये संस्क्रति से, चौथी भक्ति से, महिलाओं को अपने अन्दर बदलाव लाना होगा, पश्चमी सभय्ता त्यागनी हो, हमे गीता, रामायण , और वेद पुराणों, के अनरूप अपने वस्त्र पहनना चाहइए, फिर देखो महिलाओं की सुरछा स्वता हो जाएगी।

KACHHAD NAVNITKUMAR BAVANJIBHAI
KACHHAD NAVNITKUMAR BAVANJIBHAI 3 साल 6 महीने पहले

नमस्कार, सबसे पहले महिला की सुरछा उसके खुद के घर से होती है, दूसरी संस्कारो से, तीसरी भारतीये संस्क्रति से, चौथी भक्ति से, महिलाओं को अपने अन्दर बदलाव लाना होगा, पश्चमी सभय्ता त्यागनी हो, हमे गीता, रामायण , और वेद पुराणों, के अनरूप अपने वस्त्र पहनना चाहइए, फिर देखो महिलाओं की सुरछा स्वता हो जाएगी।

anujkumarmaurya_14
anuj kumar maurya 3 साल 6 महीने पहले

नमस्कार, सबसे पहले महिला की सुरछा उसके खुद के घर से होती है, दूसरी संस्कारो से, तीसरी भारतीये संस्क्रति से, चौथी भक्ति से, महिलाओं को अपने अन्दर बदलाव लाना होगा, पश्चमी सभय्ता त्यागनी हो, हमे गीता, रामायण , और वेद पुराणों, के अनरूप अपने वस्त्र पहनना चाहइए, फिर देखो महिलाओं की सुरछा स्वता हो जाएगी।

RaginiBharti
RaginiBharti 3 साल 6 महीने पहले

महिलाओं के प्रति हिंसा रोकना है तो महिलाओं के प्रति संस्कार का पाठ बेटों को देना ही होगा।साथ ही बेटियों को आत्म सुरक्षा का पाठ पढ़ाना होगा। बचपन से ही उन्हें मानसिकऔर शारीरिक रुप से मजबूत करना होगा। जूडो कराटे एवं सजग रहने कीअन्य टिप्स देना होगा।ग्राम/शहर में मोहल्ले/कालोनीवार लड़कों की खासकर
शैतान बेटों को शामिल कर वहां के बेटियों,महिलाओं की सुरक्षा हेतु सुरक्षा टीम बनाई जाय इससे भी वारदातों में कमीआयेगी।लड़कों की टीमअपनी जिम्मेदारी समझ कर अपने मोहल्ले की बेटियों की रक्षा करेंगे हिंसा कम हो

RaginiBharti
RaginiBharti 3 साल 6 महीने पहले

सभी को विशेषकर पुरुषों को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना पड़ेगा,परिवर्तन हो रहा है पर प्रतिशत अभी कम है।महिलाओं, मासूम बच्चियों के साथ जब भी रेप होता है दिल चीख उठता है कि जिस नारी ने पुरुषों को जन्म दिया वही उनके साथ नापाक हरकत कर रहे हैं इसलिए हर माता पिता को अपने बेटियों सेअधिक बेटों में महिलाओं के प्रति सम्मान का संस्कार भरना होगा,हर विद्यालय के शिक्षकअपने बच्चों में संस्कार रुपी नैतिक मूल्यों को भरना होगा।वैसे तथाकथित माननीयों से लेकर अधिकारियों को भी महिलाओं के प्रति सम्मान जागृत करना होगा

Ishtasharma
Ishtasharma 3 साल 6 महीने पहले

When it comes to woman i have seen everyone speaking but not taking actions.Am undergoing a bachelors degree and i have experienced that there are some people who thinks woman are of low standard.let me tell u a story i have faced yesterday as i was travelling in a public vehicle i see 3 women were talking about a girl who was walking outside.you will be shocked after knowing that they are desrespecting the girl because she was wearing jeans and they were saying that she haven't anyself respect

Pallavi Kulshrestha
Pallavi Kulshrestha 3 साल 6 महीने पहले

Please make the women helpline accessible to deaf women through sign language.
Organize awareness sessions on legal rights & ensure accessibility for deaf women at police stations, courts, hospitals etc.
Conduct audits at deaf schools with sign language experts to ensure safety of deaf girls & women.

Do not leave deaf women when you talk about women, include experts - deaf women & sign language interpreters to design accessible ways to lodge complaints.

betiyanfoundation@gmail.com
betiyanfoundation@gmail.com 3 साल 6 महीने पहले

बदलनी है सोच, बदलना है बच्चो को पालने का तरीका, बदलना है स्कूल में बच्चो का पाठ्यक्रम
नारी जब आधी आबादी है पुरुष की जननी है तो क्यों अपने खुद के घर में सुरक्षित
नहीं. हर माँ यदि अपने बच्चो का भविष्य नहीं उनका व्यक्तित्व बनाये, हर किसी का सम्मान करना सिखाये तो नारी को बचाने के लिए किसी अभियान की जरुरत ही नहीं होगी और बच्चे अपने व्यक्तित्व भविष्य स्वं बना लेंगे किसी बेटी को किसी से कोई भय नहीं होगा।
जरुरत है केवल एक शुरुआत की, हर स्कूल में बच्चो को संस्कार के पाठ भी पढ़ाये जाये. मातापिता बच्चो को सबका सम्मान करना सिखाएं तो न घरेलू हिंसा होगी और हर घर जब खुशहाल होगा तो समाज व् देश तरक्की करेगा

csengupta1
C Sengupta 3 साल 6 महीने पहले

Administration, Police, Courts are paid to keep our areas safe.
Yet there is severe Corruption everywhere. False cases are filed (70-98% state to state as per the NCRB).
Hence true cases can never be resolved and streets will be unsafe.
One needs corruption free systems with public accountability to all. Only then things will change.

mayakgnair@gmail.com
Maya KG 3 साल 6 महीने पहले

As a Woman of this country I have experienced that the violence against women are confining to a topic of discussion rather than action. Its high time to act about how to make Women independent, before occurring any violence against her she should be able to stand up and fight against it. One of the miserable things happening in Indian societies are the lack of support from Woman themselves, sectioning those who react, not joining hands against woman by woman themselves etc.. are bigger concerns. Why don't we add a period in schools or college just for discussing women matters? Why are we not educating girls that standing up for themselves is more important than leaning on someone? Why is police and the law hard to access? Why not we make the legal system more friendly that the victims get confidence even after complaining against violence against them? As a Woman I myself have experienced violence and thanks to my courage that I could react to it and report the matter right away.

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