Poshan Pakhwada 2021 - Good Nutrition Practices

आरंभ करने की तिथि :
Mar 19, 2021
अंतिम तिथि :
Mar 31, 2021
23:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
On the occasion of celebrating Poshan Pakhwada, in collaboration with the Ministry of Women and Child Development, MyGov invites citizens to share good nutrition practices and ...
पोषण सुरक्षा के लिए नीतिगत व्यवस्थाएं
राष्ट्रीय बाल नीति- 1974
एकीकृत बाल विकास परियोजना आईसीडीएस- 1975
राष्ट्रीय पोषण नीति- 1993
नेशनल प्लान ऑफ एक्शन फॉर न्यूट्रीशन- 2005
एनीमिया को रोकने के लिए विशेष योजना, आइरन टेबलेट के संदर्भ में
देश के सभी शासकीय प्रायमरी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना।
9 माह से 3 साल तक के बच्चों को विटामिन ए की विशेष खुराक।
शिशुओं की पोषण सुरक्षा के क्या मायने हैं?
1 शिशु और छोटे बच्चों के भोजन के संदर्भ में कौशलपूर्ण सहायता और सलाह का दिया जाना।
2 बच्चे के जन्म के 6 माह बाद तक माता को आर्थिक और पोषण सहायता दिया जाना।
3 समुदाय और कार्यस्थल पर समस्त सेवाओं और सामग्री सहित झूलाघर ।
बच्चों में कुपोषण
देश में बच्चों की आधी आबादी कुपोषण का शिकार है। 24 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं। मध्यप्रदेश में हाल ही में राष्ट्रीय पोषण संस्थान हैदराबाद ने अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र में 519 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। एनएफएचएस के तीसरे सर्वे के मुकाबले यहां लगभग दस प्रतिशत कुपोषण कम पाया गया हैं। यह एक सुखद संकेत हो सकता है, लेकिन एक चुनौती भी है, क्योंकि प्रदेश में आधे से ज्यादा बच्चे अब भी कुपोषण से घिरे हुए हैं।
Strengthing the Small holder farmers through traditional way of farm practices by promoting multi crop varieties and empowering the Women by promoting back yard poultry farms which would reduce the forced migration at the same time by promoting diversified crop varieties which are less water intensive crops which would substainally feed our growing population. It would also reduce nutrition deficiency.
कुपोषण क्यों है
इसे पोषण की उपलब्धता और उसके वितरण के नजरिये से देखा जाना चाहिए। 1972-73 में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 153 क़िलोग्राम अनाज को उपभोग होता था, अब वह 1222 क़िग्रा प्रतिमाह आ गया है। 2005-06 में एक सदस्य औसतन उपभोग 11920 क़िग्रा था जो 2006-07 में औसत भोजन का उपभोग घटकर मात्र 11685 किग्रा प्रति व्यक्ति रह गया। नि6चित ही यह एक अच्छा संकेत नहीं है। यही कारण है कि यहां 5 वर्ष से कम उम्र के 70 फीसदी बच्चों में खून की कमी है।
पोषण की आवश्यकता
पोषण कितना जरूरी है इसे देश की मौजूदा परिस्थितियों से समझा जा सकता है। जितनी ताकत अन्न ग्रहण करने में है, उतनी ही ताकत अन्न त्यागने में भी है। अन्न त्यागने की ताकत से पूरे देश में हलचल पैदा हो सकती है। बहरहाल अन्न का मानव संस्कृति सभ्यता की शुरूआत से ही नाता है। जैसे-जैसे संस्कृति पुष्ट होती रही है वैसे-वैसे ही अन्न, भोजन, पोषण में भी कई स्तरों पर बेहतर होते जाने की कवायद चलती रही है। पोषण सुरक्षा को मानव सभ्यता की शुरूआत से ही देखा जाता रहा है।
वहीं इसी आयु वर्ग के 33.4% बच्चे अल्प-वज़न की समस्या से जूझ रहे हैं। आगे की राह पोषण अभियान के तहत आवंटित धन के उपयोग संबंधी आँकड़े स्पष्ट रूप से इस अभियान के प्रति राज्य सरकारों की गैर-ज़िम्मेदारी प्रदर्शित करते हैं।
राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (Comprehensive National Nutrition Survey-CNNS) के आँकड़ों पर गौर किया जा सकता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा आयोजित व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में से 34.7% बच्चे स्टंटिंग अर्थात् कद न बढ़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं
पोषण अभियान या राष्ट्रीय पोषण मिशन की अभिकल्पना नीति आयोग द्वारा ‘राष्ट्रीय पोषण रणनीति’ के तहत की गई है। इस रणनीति का उद्देश्य वर्ष 2022 तक “कुपोषण मुक्त भारत” का निर्माण करना है। इस अभियान का लक्ष्य लगभग 9046.17 करोड़ रुपए के बजट के साथ देश भर के 10 करोड़ लोगों को लाभ पहुँचाना है।
पोषण अभियान(POSHAN Abhiyaan)दिसंबर 2017 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देशभर में कुपोषण की समस्या को संबोधित करने हेतु पोषण अभियान की शुरुआत की थी। अभियान का उद्देश्य परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण के माध्यम से देश भर के छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में कुपोषण तथा एनीमिया को चरणबद्ध तरीके से कम करना है।