किसी भी स्कूल की गुणवत्ता मूल्यांकन एवं प्रत्यायन प्रणाली में स्कूली कामकाज के सभी पहलुओं को कवर करने की आवश्यकता है, जिसमें शैक्षिक और सह-शैक्षिक डोमेन, भौतिक बुनियादी ढांचे, संकाय प्रबंधन, स्कूल नेतृत्व, सीखने के परिणामों और विद्यार्थियों की संतुष्टि और उनके माता-पिता/अभिभावक भी शामिल है। बेहतर प्रबंधन द्वारा जिला और ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों के साथ ही मुख्य शिक्षकों का प्रशिक्षण, बेहतर निगरानी और स्कूल के प्रदर्शन के लिए डेटा का उपयोग करने और सामुदायिक संसाधनों और स्कूल के प्रदर्शन में सुधार करने के प्रयासों के लिए अनिवार्य तथा समझदारी स्कूलों में बेहतर प्रशासन के संतुलन कायम करने में मदद करती है। मौजूदा अनुभव क्या रहे हैं और इन्हें ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए बेहतर कैसे बनाया जा सकता है?
मॉडरेटर का नामः श्री भरत परमार, सीआईआई के प्रतिनिधि
दिन, तिथि एंव समयः सोमवार, 1 जून, 2015 शाम 5 बजे।
खंडनः ये विचार वक्ताओं/ मध्यस्थों के द्वारा व्यक्त किए गए है, जो किसी भी प्रकार से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
do you think in RTE there are clause to pass all the students in primary school is good for quality of education?
how can you teach the lesson of truth to the society?
It appears that the new government would want states to make their own polices ... your views on the topic in light of that
शिक्षा का लक्ष्य यह भी था कि आध्यात्मिक मूल्यों का विकास हो। उस समय भौतिक सुविधाओं के विकास की ओर ध्यान देना किंचित भी आवश्यक नहीं था | उनका जीवन भौतिकता से मुक्त और आध्यात्मिकता में लिप्त रहता था।मानव प्रकृति की गोद से दूर नहीं रहता था।ऋषि की ख्याति के अनुरूप आश्रम चयन की सुविधा शिष्य के परिवार को रहती थी किन्तु आश्रम, धनवानों के आश्रम और निर्धनों के आश्रम में बंटे नहीं थे। राजा और रंक में किसी प्रकार का भेद नहीं था।
जीवन का उद्देश्य धर्म था। धर्ममय जीवन भौतिक उपलब्धियों से श्रेष्ठ माना जाता था। प्राचीन भारत का शिक्षा-दर्शन भी धर्म से ही प्रभावित था। शिक्षा का उद्देश्य धर्माचरण की वृत्ति जाग्रत करना था। शिक्षा, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिए थी। धर्म का सर्वप्रथम स्थान था। धर्म से विपरीत होकर अर्थ लाभ करना मोक्ष प्राप्ति का मार्ग अवरुद्ध करना था। मोक्ष जीवन का सर्वोपरि लक्ष्य था और यही शिक्षा का भी अन्तिम लक्ष्य था।।
do you think in RTE there are clause to pass all the students in primary school is good for quality of education?
प्राचीन भारतीय जीवन-दर्शन धर्ममय था। जीवन के सभी कार्यकलाप धर्म से ओत-प्रोत थे, धर्म से नियंत्रित थे। धर्म द्वारा, धर्म के लिए और धर्ममय जीवन शैली प्राचीन भारत की विशेषता थी। प्राचीन युग की प्रधानता होने से राजनीति में हिंसा और शत्रुता, द्वेष और ईर्ष्या, परिग्रह और स्वार्थ का बहुल्य न होकर, प्रेम, सदाचार त्याग और अपरिग्रह महत्वपूर्ण थे।जीवन का आदर्श ‘वसुधैवकुटुम्बकम्’ था। जीवन का उद्देश्य धर्म था। धर्ममय जीवन भौतिक उपलब्धियों से श्रेष्ठ माना जाता था।
do you think in RTE there are clause to pass all the students in primary school is good for quality of education?
Have MHRD or education departments set up the task force for the NEP 2015? who are the nominated member?
Govt. of India is working on quality, equality, free & compulsory
education for all since 1968 but still they could not achieve that why?