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कहानी लेखन प्रतियोगिता - एनसीडब्ल्यू की अरुणिमा पत्रिका

राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन एक सांविधिक निकाय के रूप में, दिनांक 31 ...
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन एक सांविधिक निकाय के रूप में, दिनांक 31 जनवरी, 1992 को राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के अनुसरण में, महिलाओं के अधिकारों और हितों की रक्षा करने और उनको बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। आयोग विभिन्न सरकारी, सामाजिक, निजी संगठनों, हितधारकों, पुलिस विभाग और कई अन्य संगठनों आदि के साथ सेमिनार, वेबिनार, परामर्श, सुनवाई, बैठकों और सम्मेलनों के माध्यम से महिलाओं के विकास के लिए अपने अनिवार्य उत्तरदायित्वों का निर्वहन करते समय सक्रिय रूप से भाग लेता है।
इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग अपनी हिंदी पत्रिका “अरुणिमा” के तृतीय अंक का प्रकाशन करने जा रहा है। सुश्री रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा पत्रिका को बहुआयामी बनाने के लिए महिलाओं से संबंधित विषयों पर विभिन्न कॉलेजों/विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के विचारों को शामिल करने का फैसला लिया गया है।
इसलिए, राष्ट्रीय महिला आयोग, माईगव (Mygov) के सहयोग से स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक स्वरचित “कविता लेखन प्रतियोगिता” का आयोजन कर रहा है, जिसमें कॉलेज के सभी छात्रों को नीचे दिए गए विषयों पर काव्यात्मक रूप में अपनी भावनाओं और अंतर्दृष्टि को व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया गया है:
1. महिलाओं से संबंधी मुद्दे
2. महिला सशक्तिकरण एवं महिला शिक्षाः बदलाव भी है जरूरी
3. महिलाओं का समाज में योगदान एवं उत्तरदायित्व
तकनीकी प्राचल:
1.रचना की भाषा हिंदी होनी चाहिए, और उन्हें यूनिकोड फ़ॉन्ट में टाइप किया जाना चाहिए।
2.कविता रचना स्व-रचित और मौलिक होनी चाहिए और केवल ऊपर बताए गए विषयों पर ही होनी
चाहिए।
3.कविता का एक शीर्षक होना चाहिए और उसकी अधिकतम सीमा 500-750 शब्द (शीर्षक को छोड़कर)
होनी चाहिए।
4.प्रतिभागियों को विवरण बॉक्स में अपना नाम, कोर्स, कॉलेज का नाम, पता और मोबाइल नंबर आदि का
उल्लेख करना होगा।
5.कविता के मुख्य भाग में किसी भी स्थान पर लेखक का नाम/ईमेल आदि उल्लेख करने से इसे अयोग्य घोषित
किया जाएगा।
पुरस्कार:
1. चुनी गई प्रविष्टि को नकद पुरस्कार या 1500/- रूपये मूल्य की वस्तु से पुरस्कृत किया जाएगा।
2. शीर्ष प्रविष्टियों को राष्ट्रीय महिला आयोग की अर्धवार्षिक हिंदी पत्रिका “अरुणिमा” के तृतीय अंक में
प्रकाशित किया जाएगा।