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सशस्त्र सेना झंडा दिवस

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1949 से, 7 दिसंबर को पूरे देश में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि शहीदों और वर्दी में उन लोगों को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने देश के सम्मान की रक्षा हेतु देश की सीमाओं पर बहादुरी से दुश्मनों का मुकाबला किया और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है। सैनिक किसी भी देश की संपत्ति होते हैं। वे राष्ट्र के संरक्षक होते हैं तथा किसी भी कीमत पर नागरिकों की रक्षा करते हैं। अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सैनिकों ने अपने जीवन में बहुत सी चीजों का बलिदान किया है। देश हमेशा इन वीर सपूतों के लिए ऋणी रहेगा जिन्होनें मातृभूमि की सेवा में अपने जीवन लगा दिया है।

हमारा कर्तव्य है कि हम न केवल शहीदों और सैनिकों की सराहना करें बल्कि उनके परिवार की भी प्रशंसा करें जो इस बलिदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है। केंद्र तथा राज्य स्तर पर सरकारी सहायता के अलावा यह हमारे देश के प्रत्येक नागरिक का सामूहिक कर्तव्य है कि वह इनकी देखभाल, सहायता, पुनर्वास और वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में स्वैच्छिक योगदान करें। झंडा दिवस देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों, दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध विधवाओं, शहीदों के आश्रितों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर श्री अजय भट्ट, राज्य मंत्री, रक्षा मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय का संदेश

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