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कालीन बुनाई का संवर्धन पर अपने विचार साझा करें

Share your views on Promotion of Carpet Weaving
आरंभ करने की तिथि :
Apr 06, 2015
अंतिम तिथि :
May 01, 2015
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

कालीन की बुनाई भारतीय वस्त्र उद्योग का महत्वापूर्ण और अभिन्नन अंग ...

कालीन की बुनाई भारतीय वस्त्र उद्योग का महत्वापूर्ण और अभिन्नन अंग है। भारतीय कालीन का निर्यात वर्ष 2013-14 के दौरान 1 बिलियन अमरीकी डॉलर को पार कर गया और वर्ष 2014-15 के दौरान घरेलू बिक्री सहित यह 8000 करोड़ रु. तक पहुंच जाएगा।

वस्त्रं मंत्रालय विशाल मात्रा में उत्पाहदन, रोजगार और कालीन का निर्यात बढ़ाने और विकास की प्रतिभागिता और समावेशी ‘सबका साथ सबका विकास’ के अंतिम उद्देश्य को प्राप्ते करने के लिए ‘जीरो डिफेक्टा और जीरो इफेक्टय’, ‘स्किल, स्के‍ल और स्पीयड’ पर विशेष जोर देते हुए माननीय प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत कालीन उद्योग के संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है।

इस प्रयास के भाग के रूप में उत्तधर प्रदेश तथा कश्मीीर और नए क्षेत्रों में परंपरागत कालीन बुनाई क्षेत्रों के आस-पास के क्षेत्रों में कालीन बुनाई में इच्छुेक व्यफक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। शिल्पाकारों के समूह को गांव में 4 महीने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और प्रशिक्षण पूरा हो जाने पर शिल्पमकारों को अपने घरों में वाणिज्यिक पैमानों पर कालीन की बुनाई करने के लिए करघे, उपकरण और अन्ये सहायता प्रदान की जाएगी। शिल्प कारों के समूह के लिए लगभग 50 लाख रुपए की लागत से कच्चीप सामग्री का भंडारण करने के लिए गोदाम की सुविधा के साथ सामान्यु सुविधा केंद्र, इंटरनेट की सुविधा के साथ कार्यालय, आराम कक्ष और प्रशिक्षण शेड की स्थारपना की जाएगी। इसके अलावा नए डिजाइन के विकास तथा प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए अपेक्षित सहायता प्रदान की जाएगी। कालीन निर्माण और निर्यात से संबंधित उद्यमी को इन समूहों के साथ जोड़ा जाएगा। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद राष्ट्री्य डिजाइन और उत्पांद विकास केंद्र (एनसीडीपीडी) की सहायता से इसे क्रियान्वित करेगा। इसके अलावा बाल मजदूरी की किसी घटना की जांच करने जैसे सामाजिक अनुपालन और ‘विन-विन’ की स्थिति का निर्माण करने के लिए किसी प्रकार के प्रदूषण की जांच करने जैसे पर्यावरणीय अनुपालन और धारणीय विकास के लिए उचित ध्यालन दिया जा रहा है।

कारपेट एक्सपो -2015 में भाग लेने वाले उद्यमियों को शिल्पाकारों के एक समूह को अपनाने और बाजार की मांग के अनुसार कोटिपरक कालीन का उत्पामदन करने के लिए आवश्य क विपणन सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया जाता है। इससे उनके निर्यात में वृद्धि होगी और सामाजिक रूप से समावेशी विकास होगा।

उद्यमियों को इस विषय पर अपने विचार भेजने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।

आप अपनी टिप्पणियां 30 अप्रैल 2015 तक भेज सकते हैं।

128 सबमिशन दिखा रहा है
drvivekupadhyay
Vivek Kumar Upadhyay 10 साल 2 महीने पहले

आपके रोजगार सृजन के लक्ष्य के लिए कालीन संवर्धन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।इसके लिए उद्योग में सहकारिता की भावना का समावेश होना जरुरी है।सहकारिता में वित्तीय प्रबंधन की समस्या सुलझाने के लिए हमारे पास मुद्रा बैंक की नवीन पहल है जिसे मिशन मोड में निर्देशित करने की आवश्यकता है।तकनीकी उन्नयन के लिए निकटवर्ती संस्थाओं को सहभागी बनाने की जरुरत है वही श्रमिकों को परंपरागत और आधुनिक दोनों रूपों में प्रशिक्षित करना पड़ेगा,उनको स्थिर भविष्य की गारेंटी देनी पड़ेगी अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी।

drvivekupadhyay
Vivek Kumar Upadhyay 10 साल 2 महीने पहले

माननीय प्रधानमंत्री जी, मैंने अपने पैत्रिक गाँव के आस पास कालीन की ईटो से निर्मित खंडहरो को बिखरे हुए देखा है। ये दृश्य हमें लगातार याद दिलाते हैं कि कभी हम भी भारतीय हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा थे लेकिन आज इसके क्षरण ने हमारे क्षेत्र में भारी सामाजिक आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया है। मै केवल आपके दृष्टिपात से ही खुद को राष्ट्रिय मुख्यधारा के भागीदारी का कृपापात्र पा रहा हूँ। मेरी समझ से इसके पुनर्निमेश के लिए वित्तीय प्रबंधन,तकनीकी उन्नयन,श्रमिक दक्षता,समावेशीय भागीदारी की आवश्यकता ह

bhawnajaiswal30@gmail.com
bhawna jaiswal 10 साल 2 महीने पहले

sir, humhe apne tradition work ko promote karna chahiye,like handicraft work which is so demanded in other parts of the world, so for encouraging them ,we should provide neccessary facility to them. sir, we should put complaint box in every area of a city so people can share their problem with u.

Anand Prakash Tiwari
Anand Prakash Tiwari 10 साल 2 महीने पहले

मोदी जी हमारी जितनी भी आलोचना होती है वो सिर्फ मीडिया के जरिए होती है जब कि सभी को ये पता है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं क्या आप सिर्फ देश हित के लिए मीडिया को एक बार साथ में बुलाकर सिर्फ देश हित में उनका योगदान माँग सकें मेरे साथ साथ करोड़ों भारतियों को आप पर विश्वास है कि आप उनका विश्वास जीत सकेंगें।

saptarshi.bhowmik312@gmail.com
SAPTARSHI BHOWMIK 10 साल 2 महीने पहले

carpeting industries should be flourish more. It falls in small scale industries. This industries in loss. This industries need support from my govt. Kashmir and surrounding areas have this industries and other in many other states. Carpet and shawls are the pride of India. we have to support and save this industries. we have to save this industries from extinct.

niteesh_delhi1966@rediffmail.com
NITEESH KUMAR SHARMA 10 साल 2 महीने पहले

In my opinion government should waive off bank loan & electricity bills of those farmers whose crops destroyed instead of cash compensations.

skbanerjee50
Dr Swapan Kumar Banerjee 10 साल 2 महीने पहले

Carpet making has good prospect in India and export abroad. But Govt must ensure that the poor weavers get a fair price for their labor. Moreover children must not neglect their school to make carpet at home. Retail and e-tail outlet must market their products. Care must be taken to ensure that lion's share of profit doesn't go to middlemen. Indian art and culture can be promoted on carpet design.

Kamal Sharma_8
Kamal Sharma_8 10 साल 2 महीने पहले

Respected PM
I want to inform you that road construction work is under progeess in our area. Poor road conditions with countless potholes, mud-slides and unrelenting dust all along – this is the present scenario of Theog-Kotkhai-Rohru road, which bifurcates from NH 22 at Theog, 32 kilometres from Shimla. The road has been such for the past 7 odd years.Request u to pls take necesaary action.

With Regards
Kamal Sharma
Resident of Chirgaon Rohru
Please help

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