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स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन

Human Resources for Health
आरंभ करने की तिथि :
Jun 10, 2015
अंतिम तिथि :
Aug 11, 2015
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

यह चर्चा विषय ‘भारत में स्वास्थ्य प्रणालियां:मौजूदा निष्पादन और ...

यह चर्चा विषय ‘भारत में स्वास्थ्य प्रणालियां:मौजूदा निष्पादन और संभाव्यता के बीच की दूरी को कम करना’ शीर्षक से हमारी पहली चर्चा के सन्दर्भ अवं जारी रखने के लिए हैं । पहले चर्चा में इस विषय पर टिप्पणी की है जो दूसरों की समीक्षा करने के लिए, हमारे ब्लॉग पर उपलब्ध हैं ।

कैसे हम मानव संसाधन को मजबूत बनाने के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ को अधिकतम करें?

1. मुद्दे

1.1. स्वास्थ्य के लिए और ख़ासकर संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है जिससे कार्यक्रमों का कार्यान्वयन प्रभावित होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के प्रति स्वास्थ्यकर्मियों की अनिच्छा के कारण भी कई रिक्तियां हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टरों के काफी ज़्यादा गैर-हाज़िर रहने के कारण भी स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता और अधिक सीमित हो जाती है।

1.2. सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कर्मचारियों की संख्या निर्धारित से कम है।

1.3. ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत पेशेवर अलग-थलग पड़ जाते हैं जिससे कौशल का स्तरोन्नयन नहीं हो पाता।

1.4. सार्वजनिक स्वास्थ्यकर्मियों का सामाजिक विलगाव उनके प्रदर्शन को सीमित करता है।

1.5. सार्वजनिक केंद्रों के लिए लाइन आइटम बजट भुगतान पद्धति से प्रणाली की प्रत्युत्तरता सीमित होती है।

1.6. चिकित्सा शिक्षा तथा संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञानों के लिए विस्तृत मानदंडों का अभाव है।

2. सुझाव

2.1. स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध मानव संसाधन को प्रशिक्षित,सशक्त और सुव्यवस्थित किया जाए ताकि समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

2.2. वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली के उपलब्ध डाक्टरों की सेवाएं(प्रति 10,000 जनसंख्या पर 4.4 आयुष यानी आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक उपचार, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथी के डाक्टर)2 ली जा सकती हैं। आयुष डाक्टरों के लिए ब्रिज पाठ्यक्रमों तथा उनके विधिक सशक्तिकरण पर विचार किया जा सकता है ताकि सेवा उपलब्धता के लिए अतिरिक्त मानव संसाधन की तैनाती की जा सके। जहां संभव हो, वहां शिशु के जन्म के समय मौजूदगी,प्रजनन तथा बाल स्वास्थ्य सेवाएं देने और एकीकृत नवजात तथा शिशु रोग प्रबंधन के लिए आयुष डाक्टरों को प्रशिक्षणदिया जाए ताकि सेवा उपलब्धता बेहतर हो सके।

2.3. फील्ड में कार्यरत पूर्ण से कम अर्ह/गैर-अर्ह डाक्टरों(जैसे, पंजीकृत डाक्टर, पारम्परिक जन्म सहायक तथा कम्पाउंडर आदि) को उनकी अर्हता तथा अनुभव के अनुरूप आवश्यक प्रशिक्षण तथा अवसर उपलब्ध कराए जाएं जिन्हें उपयुक्त क्षमताओँ में स्वास्थ्य कार्यबल में शामिल किया जाना है।

2.4. मान्यताप्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं(आशा-समुदाय आधारित स्वास्थ्यकर्मी) को शिशुओं में एंटीबायोटिक के साथ संक्रमण प्रबंधन के लिए विधिक रूप से सशक्त किया जाए ताकि गैर-विशेषीकृत स्वास्थ्य कार्यबल के माध्यम से सेवा उपलब्धता बढ़े।

2.5. इसी प्रकार, गैर-विशेषज्ञ स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाएं ली जाएं तथा उन्हें सामान्य मनोरोगों के शिकार लोगों के मामले में नतीज़ों को बेहतर करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।

2.6. असाध्य रोगों,जैसे रक्त शर्करा प्रबंधन, रक्त कोलेस्टेरॉल प्रबंधन और रक्तचाप प्रबंधन के रोगियों के मामले में नतीज़ों को बेहतर करने के लिए फार्मासिस्टों को प्रशिक्षित किया जाए।

2.7. विशिष्ट केंद्रीय/बाह्य वित्तपोषित कार्यक्रमों के अंतर्गत उपलब्ध मानव संसाधनों के पदनामों तथा उनके कार्य ब्यौरे को जेनेरिक,बहुकार्यी श्रेणियों में आशोधित किया जाए जो स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप सेवाएं दे सकें।1

2.8. ज़िला अस्पतालों तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में व्यापक प्रशिक्षण केंद्र चलाकर एचआरएच में कमियों की पूर्ति की जाए ताकि ये ज्ञान केंद्र के रूप में तब्दील हो सकें और रोगियों की देखभाल हो सके। इनसे नई श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए शैक्षिक क्षमताएं भी सृजित होंगी।

2.9. एम्स(अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) जैसे संस्थान पेशेवर शिक्षा तथा प्रशिक्षकों का बहु-कौशल प्रशिक्षण जारी रखने के लिए व्यापक प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में सेवा दे सकते हैं।

2.10. जिन ज़िला अस्पतालों को शिक्षा संस्थानों में तब्दील नहीं किया जा सकता, उन्हें परिवार औषधि(फैमिली मेडिसिन) जैसे पाठ्यक्रमों में डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड(डीएनबी) में छात्रों के प्रशिक्षण के लिए मान्यता दी जाए ताकि ज़िला अस्पतालों में रोगियों की देखबाल के मानक बेहतर हो सकें।1

2.11. मानव संसाधन संबंधी सिद्धान्तों का एक व्यापक सैट अंगीकृत किया जाए। कुछेक दिशानिर्देश ये हो सकते हैं:

क. संस्वीकृत किए जाने वाले कर्मचारियों के पदों की संख्या के निर्धारण की सुविधा के लिए गुणवत्ता मानक। अगर कार्यभार अधिक होने के कारण कर्मचारियों की संख्या अधिक होती है, तो इस संख्या को युक्तिसंगत बनाया जाए।

ख. शीघ्रता से विकेंद्रीकृत भर्ती करने को अंगीकार किया जाए और प्रस्तावित तैनाती में क्षेत्र के निवासियों को प्राथमिकता दी जाए।

ग. निष्पक्ष तथा पारदर्शी तैनाती और समय पर पदोन्नति की निश्चित व्यवस्था होनी चाहिए।

घ. ग्रामीण और दूरस्थ इलाक़ों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से डाक्टरों और संबद्ध स्वास्थ्य संवर्गों को गैर-मौद्रिक(और मौद्रिक) प्रोत्साहन दिया जाए।

ङ. पेशेवर विलगाव को खत्म करने के लिए निरन्तर चिकित्सा शिक्षा(सीएमई) और कौशल स्तरोन्नयन कार्यक्रमों को अपनाया जाए और समान परिस्थितियों में टेली-मेडिसिन तथा एचआरएच वर्किंग की नेटवर्किंग का सहयोग लिया जाए।

च. सामाजिक विलगाव की समस्या के समाधान के लिए ऐसी प्रक्रियाओं में निवेश किया जाए जो प्रदाता और समुदाय दोनों को निकट ला सके।

छ. एनआरएच के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य होना चाहिए जिससे वे स्वयं को स्वास्थ्य संबंधी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप ढल सकें तथा उनके करिअर में भी प्रगति हो सके।

2.12. मान्यताप्राप्त सामाजिक स्वास्थ्यकर्मियों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सहायक नर्स दाइयों(एएनएम) के रूप में करिअर अपनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा नर्सों की दक्षता आधारित पेशेवर उन्नति के लिए करिअर ट्रैक रखे जाने का आश्वासन दिया जाना चाहिए।

2.13. सार्वजनिक क्षेत्र के प्रबंधकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों को प्रत्युत्तरकारी भुगतान व्यवस्था के रूप में बोनस भुगतान किया जाए। इन भुगतानों को निष्पादन परिणामों के साथ जोड़ा जाए,जैसे- सेवाओं की बेहतर कवरेज/लाभार्थियों द्वारा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सुविधा के उपयोग में कमी/मापयोग्य स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करना।

2.14. देश में स्वास्थ्य पेशेवरों की बेहतर आयोजना के लिए डेटा उपलब्धता को बेहतर बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पेशेवर परिषदेंसंघर्षण और प्रवास के लिए समायोजित सदस्यों की संख्या, उनकी विशेषज्ञता, प्रैक्टिस वितरण और स्थिति संबंधी ब्यौरा अद्यतन रखें।

2.15. चिकित्सा शिक्षा के लिए राष्ट्रीय मानव संसाधन तथा स्वास्थ्य आयोग का एक अति मह्त्वपूर्ण विनियामक निकाय के रूप में सृजन किया जाए तथा संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञानों को प्राथमिकता दी जाए ताकि मौजूदा विनियामक फ्रेमवर्क में सुधार किया जाए तथा स्वास्थ्य संबंधी कुशल मानव संसाधनों की आपूर्ति बढाई जाए।