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कैसे प्राकृतिक संसाधनों के संपोषित प्रबंधन से भारत में खाद्य एवं ग्रामीण आजीविका सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है?

How Sustainable Management of Natural Resources may achieve Food & Rural livelihood security in India?
आरंभ करने की तिथि :
Feb 10, 2015
अंतिम तिथि :
Aug 31, 2015
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
प्रस्तुतियाँ समाप्त हो चुके

जैसे भारतीय जनसंख्या की निरंतर वृद्धि हो रही है, देश में खाद्यान्न, ...

जैसे भारतीय जनसंख्या की निरंतर वृद्धि हो रही है, देश में खाद्यान्न, पोषकता, पर्यावरण एवं आजीविका सुरक्षा हेतु प्राकृतिक संसाधनों के लिए अत्यंत प्रतिस्पर्धा प्राय: होती रहेगी। इसके अतिरिक्त खाद्यान्न एवं पोषकता की आवश्यकताओं हेतु की लगातार बढ़त, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, मृदा उर्वरता का घटना, जमिनी-जल कि मात्रा में कमी जैसे पर्यावरणात्मक परिवर्तनों से नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट दिखाई देते हैं। नैसर्गिक संसाधनों संसाधनों एवं माँगों में संपोषित संतुलन बनाए रखने हेतु कई क्षेत्रों में तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग, मृदा में कार्बनिक रसायनों का ना घटना, जल रेखा की कमी, मृदा स्वास्थ्य, कार्बनिक कृषि एवं कृषि क्षेत्र में पर्यावरणात्मक परिवर्तन इत्यादि।

मृदा जैव विविधा पर हुए अद्यतन अध्ययन, कॉम्पोस्ट की बढ़ती तकनीकें, कॉम्पोस्ट से भारी धातुओं की निकासी हेतु जैव-फिल्टरों का उपयोग, कृषि में नॉनो सेंसरों का अनुप्रयोग इत्यादि जिससे पोषकता प्रयोग की सक्षमता में सुधार, सूक्ष्म पोषकों की आवश्यकता आधारित प्रयोग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपलब्धता तथा मृदा स्वास्थ्य इत्यादि के लिए कृषि संरक्षण द्वारा कृषि में नैसर्गिक संसाधनों के संपोषित प्रबंधन को सहयोग प्राप्त हो सकें।

नैसर्गिक संसाधन प्रबंधन के वैज्ञानिक एवं तकनीकी पहुलओं को समझने पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की संपोषणीयता हेतु पणदाताओं के सुझावों को सम्मिलित करना ही इस पोर्टल का प्राथमिक उद्देश्य है।