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समर्थनकारी समावेशी शिक्षा – बालिकाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा

सामाजिक पहुंच और साम्यता का मामला काफी जटिल है। हालांकि, लाभ से वंचित समूहों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मुस्लिमों, बालिकाओं और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों तथा सामान्य जनसंख्या के बीच औसत नामांकनों के अंतरालों में कमी आई है, ऐतिहासिक दृष्टि से लाभ से वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के अधिगम स्तरों, जिनमें सीखने की समझ बहुत कम होती है, के बीच बड़ा अंतराल है। व्यापक और बढ़ते हुए अधिगम अंतरालों ने नामांकन क्षेत्र में प्राप्त समानता के लाभों को खतरा पहुंचाया है क्योंकि अधिगम के कम स्तरों वाले बच्चों के पढ़ाई बीच में छोड़कर जाने की संभावना अधिक रहती है। हमें स्त्री-पुरूष और सामाजिक अंतराल कम करने के मौजूदा हस्तक्षेपों की जांच करने तथा प्रभावकारी समावेश के लिए केन्द्रित कार्यनीतियों की पहचानने करने की आवश्यकता है।

मॉडरेटर का नामः डॉ इंदुमती राव, क्षेत्रीय सलाहकार, सीबीआर नेटवर्क, उप अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल भवन

दिन, तिथि एंव समयः मंगलवार, 2 जून, 2015 शाम 3 बजे

खंडनः ये विचार वक्ताओं/ मध्यस्थों के द्वारा व्यक्त किए गए है, जो किसी भी प्रकार से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

किसी भी प्रकार की सम्पत्ति पर किसी भी व्यक्ति विशेष का स्वत्वाधिकार नहीं होना-रहना चाहिए । सभी किसी भी प्रकार सम्पत्ति का मालिकान सरकार का ही होना-रहना चाहिये फिर तो चोरी-लूट-डकैती अधिकतर मार-काट-बेइमानी-घुसखोरी आदि भ्रष्ष्टाचार सहज ही समाप्त हो जायेगा ।

Amit Chandra
Amit Chandra 10 साल 1 week पहले

this inclusion has to be customised/individualised, each child faces a different challenge in attending schools so these problems have to solved for each child individually. To provide this personalised solutions, the best thing to do is to make it worthwhile for the schools to bring these students into schools. Offer them financial incentive for every such child that gets in the school.

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

‘दोष रहित सत्य प्रधान मुक्ति और अमरता से युक्त सर्वोत्तम जीवन विधान और अमन-चैन का सुखी समृद्ध समाज स्थापित करने हेतु गुरुजन बन्धुओं को सबसे पहली तथा
सबसे बड़ी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेनी और उसे सुचारुरूप से वहन करनी चाहिये ।

Asit Baran Bhattacharya
Asit Baran Bhattacharya 10 साल 1 week पहले

I fully agree with the moderator that economical issues are the highest factor should be kept in mind for proper planning but if we go to the remote villages the number is significantly large.

cbrfup@gmail.com
cbr foundation 10 साल 1 week पहले

आज देश में विकलांग बच्चों की शिक्षा में सबसे बड़ी समस्या " स्पेशल एडुकाटेअचेर्स की गुदड़वाता है, २ बीएड कमरो में ट्रेनिंग सेंटर्स चल रहे है, स्पेशल टीचर्स को वेतन भी बराबर नहीं है ,

Deepak Krishna Sharma
Deepak Krishna Sharma 10 साल 1 week पहले

Due to higher cost of aids and appliances, children with deafblindness are not included, is there any provision to address where special kits are provided for deafblind children for proper education.

cbrfup@gmail.com
cbr foundation 10 साल 1 week पहले

यदि उनके परिवार को जागरूकता , सामाजिक मान सम्मान और कुछ प्रोत्साहन मिले तो इनकी शिक्षा में मत्वपूर्ण प्रगति होगी

Akhil Paul
Akhil Paul 10 साल 1 week पहले

Namaskar Indumathi mam,
We need to look into the curricular adaptation and one to one support for girls with deafblindness...

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