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स्कूल के मानक, मूल्यांकन एंव प्रबंधन प्रणाली

किसी भी स्कूल की गुणवत्ता मूल्यांकन एवं प्रत्यायन प्रणाली में स्कूली कामकाज के सभी पहलुओं को कवर करने की आवश्यकता है, जिसमें शैक्षिक और सह-शैक्षिक डोमेन, भौतिक बुनियादी ढांचे, संकाय प्रबंधन, स्कूल नेतृत्व, सीखने के परिणामों और विद्यार्थियों की संतुष्टि और उनके माता-पिता/अभिभावक भी शामिल है। बेहतर प्रबंधन द्वारा जिला और ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों के साथ ही मुख्य शिक्षकों का प्रशिक्षण, बेहतर निगरानी और स्कूल के प्रदर्शन के लिए डेटा का उपयोग करने और सामुदायिक संसाधनों और स्कूल के प्रदर्शन में सुधार करने के प्रयासों के लिए अनिवार्य तथा समझदारी स्कूलों में बेहतर प्रशासन के संतुलन कायम करने में मदद करती है। मौजूदा अनुभव क्या रहे हैं और इन्हें ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए बेहतर कैसे बनाया जा सकता है?

मॉडरेटर का नामः श्री भरत परमार, सीआईआई के प्रतिनिधि

दिन, तिथि एंव समयः सोमवार, 1 जून, 2015 शाम 5 बजे

खंडनः ये विचार वक्ताओं/ मध्यस्थों के द्वारा व्यक्त किए गए है, जो किसी भी प्रकार से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारत सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

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Rajeev Sharma 10 साल 1 week पहले

the prevailing grading system where in a student is not failed till tenth standard is going to produce a army of educated UNEDUCATED youth. we must show the real image to a student based upon his performance in academic. Failure is a means to introspect and take up challenge in life. so my submission is to revert back to our grading system in our schools and let a child fail if he does not work hard in academics.

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

इस एक संसार को बनाने वाला एक, हम सब मानव शरीर मूल रुप से एक, जैसे ३२ दांत २०६ हड्डी, हम सब को बनाने वाला एक, तो इतने धर्म कैसे, ये भेदभाव कैसा | यह भेदभाव हि दंगा फसाद क मूल, वह खुद गाड भगवान एक हि है | वास्तव मे उसकी सच्ची जानकारी हि धर्म है |
धर्म एक था, है, और रहेगा, सत्य एक था, है, और रहेगा | धर्म के ना होने क मतलब अधर्मी समाज | कृपया इन शब्दो पर थोडा तो मनन चिन्तन करे | हमे यहाँ भेजने वाले ने हमे जहाँ जिस घर मे जैसे भेजा है यहाँ आने का किस घर मे कौन माता पिता इसका चुनाव तो हमने नही किया ना

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

अध्यात्म सामान्य मानव से महामानव या महापुरुष या दिव्य पुरुष बनाने वाला एक योग या साधना से सम्बन्धित विस्तृत क्रियात्मक एवं अनुभूतिपरक आध्यात्मिक जानकारी है

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

क्या ही अफसोस की बात है कि देश व दुनियां वाले दूषित मनुष्य से निर्मल एवं स्वच्छ तथा परिष्कृत मानव बनाने व निकालने वाली मानवता के इस अदभुत एवं इतने बड़े उपयोगी स्वाध्याय वाले कारखाने को खोलने-खोलवाने तथा चलने-चलाने की आवश्यकता ही महशूस नहीं करते; और दूषित भाव-विचार-व्यवहार-कर्म वाले मनुष्य से युक्त दूषित मानव समाज बन-बना कर दम घूँट-घूँट कर किसी-किसी तरह एक-एक दिन व्यतीत कर रहे है और मनुष्य समाज को अराजक बना-बनाकर चारों तरफ अत्याचार-भ्रष्टाचार एवं आतंक का राज स्थापित किये-कराये हुये हैं ।

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

मानवता स्थापित करने वाले इस स्वाध्याय रूप अदभुत कारखाने को भी बन्द कर करवा दिये हैं तथा यह निकम्मी एवं भ्रष्ट सरकारें भी (विश्व की ही) इस स्वाध्याय रूप अदभुत कारखाने को प्रायः हर पाठशाला एवं विद्यालयों तक में भी खोल-खुलवा कर सबके लिये अनिवार्य नहीं कर करवा रही है।

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

विद्या का क्षेत्र सदा ही नीच-ऊँच, गरीब-अमीर, लिंग-जाति-वर्ग- सम्प्रदाय आदि भेद मूलक दूषित विधान से सर्वथा रहित और ऊपर सद्भाव, सद्विचार, सद्व्यवहार और सत्कार्यरूप विधानों से युक्त होना चाहिये ।

Prakash KC
Prakash KC 10 साल 1 week पहले

समाज में सबसे अधिक महत्त्व एवं साधन सुविधायें, यदि किसी को दिया जाता है तो उसमें सबसे प्रमुख एवं सबसे अधिक हमारे गुरुजन बन्धुओं को ही मिलनी चाहिये ताकि उनका मस्तिष्क सदा ही निश्चिन्तता पूर्वक अध्यापन में ही लगा रहे ।
अध्ययन-अध्यापन का कार्य ऐसे गुरुजन बन्धुओं को सौपना चाहिए जो झूठ-बेइमानी-चोरी-छल-कपट आसक्ति-ममता-स्वार्थ से परे हों अथवा इन्हें हर हालत में छोड़कर ईमान-सच्चाई-संयम-सेवा को धारण कर चुके हो|

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