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वाराणसी में व्यापार सुविधा केन्द्र और शिल्प संग्रहालय

आरंभ करने की तिथि :
May 15, 2015
अंतिम तिथि :
Dec 01, 2015
00:00 AM IST (GMT +5.30 Hrs)
हथकरघा उत्पाद का भारत की विरासत और संस्कृति को बनाए रखने में एक ...
Just across the Ganges in Varanasi is Ramnagar. This place can easily become the port for carrying goods through waterways. Small steamers can transport material from Ramnagar in Varanasi to Patna and Kolkata on one side and Kanpur-- Allahabad on other side. Indirectly we we'll be connecting Kanpur with Kolkata via Vns which will be major junction. The traders in handlooms, craftmen and weaver get larger horizon to interact with customers and other weavers from different states.
Zeroing in on Varanasi as a Trade and Crafts hub, is a well-reasoned decision by PM saheb, given the fact that local skills and indigenous products can be best taken advantage of, by harnessing the expertise of minority community. This will spur trade, domestically as well as an interface with tourists coming from several other countries, in their quest for spiritual attainment. Additionally, our cultural diversities and vibrancy will be showcased. Regards, Amar Prusty
The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013 and the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement (Second Amendment Bill, 2015) have been uploaded on the Lok Sabha Website (http://164.100.47.134/committee/othercommiittees.aspx).
But the aforesaid link is not opening. It shows "The Problem may be due to 500 Server Error/404 Page Not Found.Please contact your system administrator"
Dear Sir,Farmer student free eduction in high level School/College/University provide. Requirement process Farmer son quick access as like as SC/ST students. I very happy Agriculture new channel provide all farmers.
टिन के डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद के बारे मे मुफ्त कार्यशालाएं आयोजित कराई जाये ।
सबसे जरूरी एवं आवश्यक है किसी भी क्षेत्र मे वैश्विक मानकों की जानकारी होना । चाहे क्राफ्ट हो , कुटीर उद्योग हो , खाद्य उद्योग हो , वस्त्र उद्योग हो , हर कहीं उच्च मानकों की कसौटी पर हम फेल होते रहे । उक्त केंद्र का सबसे ज्यादा फोकस इन क्षेत्रों के वैश्विक मानकों के बारे मे जनता को और उद्यमियों को अवगत कराये । उच्च मानक के उत्पाद बनने के बाद ही इनके व्यापार पर सोचना सही होगा ।
इस केंद्र का ज्यादा फोकस खाद्य प्रसंस्करण पर हो , पूर्वाञ्चल के जिलों मे प्रसंस्करण की काफी संभावना है , इस केंद्र के द्वारा मुफ्त तकनीकी सहायता देना , खाद्य पदार्थों के बारे मे जागरूकता अभियान चलवाना इत्यादि कार्य हो
मिर्ज़ापुर के मृतप्राय पीतल उद्योग को जीवित कराने हेतु राष्ट्रीय सहायता की जरूरत है । फूल की थाली और लोटा बाज़ार मे खोजने पर भी नहीं मिलते ,जबकि उनका प्रयोग स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । फूल और पीतल के घरेलू उपयोग के बर्तनों को काफी सस्ता कराया जाये ( लगभग स्टील के बर्तनों के बराबर ) ताकि उनका फिर से प्रचलन होकर कारीगरों को कम मिले ।
हर गाँव मे कुम्हार के बंद पड़े चाक को घूमने हेतु एक नीति तैयार की जाये , उसे बेहतर तकनीकी एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाये ,मिट्टी के बर्तनों के प्रचलन को बढ़ाया जाये ।
पूर्व मे पूर्वाञ्चल के जनपदों मे सन और पटसन की खेती होती थी , अब लगभग बंद हो चुकी है । सन और पटसन की खेती को पुनः प्रोत्साहित कराने से पर्यावरण की क्षति रुकेगी क्योंकि ये कम पनि वाली फसलें हैं । प्लास्टिक का विकल्प मिलेगा । ग्रामीण क्षेत्रों को रोजगार मिलेगा । वनों का विनाश रुकेगा । सन और पटसन विकास केंद्र की स्थापना कराई जाए । कोई ग्रामीण शहर को नहीं जाएगा ।