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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का लक्ष्य हमारी लड़कियों को सामाजिक ...
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का लक्ष्य हमारी लड़कियों को सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण जीवन में होने वाली लैंगिक असमानता के खिलाफ सशक्त बनाना है। इस योजना का कार्यान्वयन पिछले 6 सालों से हो रहा है। इस समय कई राज्य सरकार, केंद्र शासित प्रदेश और जिलों नें बच्चियों के महत्व को बताने के लिए और लैंगिग अनुपात के कम होने की समस्या के समाधान के लिए कई नये कदम उठाये हैं। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और जिलों के द्वारा उठाये गये इन कदमों का ही नतीजा है कि आज यह मुद्दा सार्वजनिक बहस का हिस्सा बन सका है।
11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ानें और असमानता को खत्म करने के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इन मुद्दों पर प्रकाश डालना इस दिन का लक्ष्य होगा।
इस अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के क्षेत्र में असल जीवन से जुड़ी हुई कहानियों को साझा करने की एक ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।
इस आयोजन की संकल्पना में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के क्षेत्र से ऐसी कहानियों को साझा करना है जिनसे लड़कियों के महत्व को बढ़ावा मिले। ऐसी कहानियां जिससे लोगों की सामुदायिक मानसिकता बदलने में मदद मिले और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़े, को वृहद स्तर पर साझा किया जाना बेहद जरुरी है।
इस प्रतियोगिता का उद्देश्य बड़ी संख्या में लोगों के अंदर बाल लिंगानुपात के कम होने के बारे में सामान्य जागरुकता फैलाना है ताकि लड़कियों के महत्व को लोग समझ सकें और लड़कियों के लिए एक सकारात्मक माहौल का निर्माण हो सके। यह प्रतियोगिता लोगों को लैंगिक भेदभाव, असमानता और महिलाओं के अधिकारों के बारे में एक खुली बहस का मौका प्रदान करता है, जिसके कारण समाज में एक सकारात्मक मानसिक बदलाव आ सके।
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प्रविष्टियां भेजने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2020 है।