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संस्कृति मंत्रालय
संस्कृति मंत्रालय देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के परिरक्षण एवं संरक्षण तथा कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहन प्रदान करने का उतरदायित्व संभालता है। यह मंत्रालय दो सम्बद्ध कार्यालयों, छ: अधीनस्थ कार्यालयों और 35 स्वायत्त संगठनों के माध्यम से अपना कार्य करता है ।
इसके सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में लोक एवं पारम्परिक कलाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं । इसके चार मिशन, भी हैं, नामत: राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, राष्ट्रीय स्मारक और पुरावस्तु मिशन, राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन और ग़ांधी विरासत स्थल मिशन ।
यह मंत्रालय मूर्त और अमूर्त विरासत एवं संस्कृति दोनों के संरक्षण, विकास और प्रोन्नयन के लिए उत्तरदायी है और यह बहुत-से ज्ञान संसाधन केन्द्रों का प्रबंधन भी करता है । इसके आलावा, मंत्रालय को गाँधीवादी विरासत को परिरक्षित करने तथा विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और शताब्दियों के स्मरणोत्सव मनाने का अधिदेश सौंपा गया है । मूर्त सांस्कृतिक विरासत के संबंध में , यह मंत्रालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माध्यम से केंद्रीय रुप से सरंक्षित राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों का रखरखाव करता है । इसी प्रकार यह मंत्रालय देश में संग्रहालय आंदोलन को भी बढ़ावा देता है और देश के अधिकांश संग्रहालय इसके प्रशासनिक नियंत्रण में हैं । यह मंत्रालय सहायता अनुदानों के माध्यम से क्षेत्रीय संग्रहालयों का भी विकास करता है । अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संबंध में, यह मंत्रालय दृश्य मंच कला तथा साहित्यिक कलाओं में कार्यरत व्यक्तियों, व्यक्ती समूहों तथा सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है । इसी प्रकार यह मंत्रालय अपने संगठनों के माध्यम से संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्टता को मान्यता देने में भी लगा है, जिसके लिए साहित्य अकादमी और संगीत नाटक अकादमी जैसी संस्थाओं व्दारा पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय हमारी परम्परागत और सांस्कृतिक विविधता के संम्बंध में समकालीन महत्व रखने वाले एक उत्साहपूर्ण थियेटर आंदोलन को बढावा देने में जुटा है ।
संस्कृति मंत्रालय देश के सभी बड़े पुस्तकालयों का अभिरक्षक है । यह पुस्तकालय विकास हेतु सहायता अनुदान भी प्रदान करता है तथा पुस्तकालय विकास संबंधी नीति मामलों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं |
यह मंत्रालय राष्ट्रीय अभिलेखागार के माध्यम से देश सभी अभिलेखीय रिकॉर्डो के रख- रखाव के लिए भी जिम्मेदार है । यह मंत्रालय सारनाथ, वाराणसी और लेह स्थित संस्थानों के माध्यम से बौध्द और तिब्बत संस्कृति के संरक्षण और उसके विकास के कार्यो में भी कार्यरत है ।
कला और संस्कृति में उत्कृष्टता के इच्छुक सभी व्यक्तियों के लिए इस मंत्रालय के पास एक अति सुनियोजित क्षमता निमार्ण कार्यक्रम भी उपलब्ध है । पुरातत्व विद्यालय, अभिलेखागार विद्यालय, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान, एशियाटिक सोसाइटी, मौलाना अबुल कलाम आजाद एशियाई अध्ययन संस्थान आदि के नाम इस क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और कला क्षेत्र फाउॅंडेशन व्दारा चलाए जा रहें विभिन्न पाठ्यक्रम भी इस मंत्रालय के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के कुछ उदाहरण हैं ।
मंत्रालय विदेशों में भारतीय महोत्सवों का आयोजन करके अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी भी दर्ज करता है और संस्कृति के क्षेत्र में युनस्को के विभिन्न कन्वेंशनों के कार्यन्वयन तथा विश्व विरासत सूची में नामाकंन के लिए भी उतरदायी है ।
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