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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई)
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र पिछले पांच दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था के एक बेहद जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। एमएसएमई न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत पर बड़े रोजगार के अवसर प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि यह ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण में मदद भी करते हैं जिससे क्षेत्रीय असंन्तुलन काम होता है और राष्ट्रीय आय और धन का अधिक समान वितरण आश्वस्त होता है। एमएसएमई सहायक इकाइयों के रूप में बड़े उद्योगों के पूरक हैं और यह क्षेत्र के देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काफी योगदान देता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (एम /ओ एमएसएमई) की कल्पना एक जीवंत एमएसएमई क्षेत्र है जहाँ संबंधित मंत्रालयों / विभागों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के सहयोग से एमएसएमई सेक्टर के मौजूदा उद्यमों जैसे खादी, ग्रामीण और कॉयर उद्योग को समर्थन, और नए उद्यमों के सृजन को प्रोत्साहन मिले।
इस समूह का उद्देश्य कार्य, चर्चा, चुनाव, ब्लॉग्स और वार्ता के माध्यम से नागरिक विचार-विमर्श को सुविधाजनक बनाना है।
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